नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में योग्यता को तरजीह

नई दिल्ली. मंत्रिमंडल के इस विस्तार में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भाजपा की भविष्य की राजनीति की दिशा क्या होगी। इस नाते इस जोड़ी की सबसे पहली कोशिश तो यह है कि भाजपा के वर्चस्व का विस्तार देशव्यापी हो। जिससे वह कालांतर में गठबंधन के झंझट से मुक्त हो। इस नजरिए से उसने जहां पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को महत्व दिया है, वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सांसदों को इसलिए सत्ता में हिस्सेदारी दी है, जिससे यहां होने वाले विधानसभा चुनावों की मजबूत पृष्ठभूमि तैयार हो सके।
विस्तार में घटक दलों को साफ संदेश दे दिया है कि गठबंधन के वह दिन लद गए कि कोई प्रधानमंत्री के हाथ ऐंठ कर अपनी बात मनवा ले। शिवसेना की दरकिनारी इसका बेहतर उदाहरण है। दूसरे यह कि नए बनाए गए 21 मंत्रियों में से केवल एक सहयोगी दल तेलुगु देशम पार्टी से वाईएस चौधरी हैं। जिस राजग का नेतृत्व भाजपा केंद्र सरकार में कर रही है, उसके 336 सांसद हैं, बावजूद मनोहर पर्रिकर और सुरेश प्रभु दो ऐसे कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, जो किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। जाहिर है, भाजपा बहुत सोच-समझकर अपनी पैठ राष्ट्रव्यापी बनाने के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।
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