पांव पसारता इबोला वायरस

पांव पसारता इबोला वायरस
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अमेरिका में हाल ही में पाये गये इबोला के मामले से देश की सीमाओं के परे भी चिंता की लहर व्याप्त हो गयी है।

नई दिल्ली. इबोला वायरस की उत्पत्ति 1976 में हुई मानी जाती है। उस समय अफ्रीका के इबोला नदी (इसी के नाम पर वायरस का नामकरण हुआ है) के किनारे रहने वाले लोगों में फैला यह रोग आज वापस सिर उठा रहा है। 1976 से 2013 तक जहां इबोला के सिर्फ 1716 मामले पाये गये थे, वहीं इसके वर्तमान प्रसार में लाइबेरिया, गिनी व सियरा लियोन में 10000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, तथा लगभग 5000 लोग इसके कारण काल का ग्रास बन गये हैं। यह आंकड़े स्थिति की भयावहता को दर्शाने के लिये काफी हैं। मेरे यह लेख लिखते समय तक इबोला पश्चिमी अफ्रीकी के ऊपर लिखित तीन देशों में महामारी का रूप ले चुका है, जबकि पांच देशों (माली, सेनेगल, नाइजीरिया, स्पेन व अमेरिका) में यह वायरस यात्रियों के माध्यम से पहुंच चुका है। इस लेख के लिखने के समय तक, अमेरिका में जांच में इबोला से संक्रमित पाये गये चार मामले पकड़ में आये हैं, जिनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर दूसरे दिन जारी किये जा रहे बयान भी मामले की गंभीरता को दर्शाते हैं। एक तरफ जहां दुनिया के कोने कोने से इन तीन सबसे अधिक प्रभावित देशों में आर्थिक व चिकित्सकीय मदद पहुंच रही है, वहीं धीरे-धीरे इस वायरस ने दूसरे देशों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू कर दिया है।

अमेरिका में हाल ही में पाये गये इबोला के मामले से देश की सीमाओं के परे भी चिंता की लहर व्याप्त हो गयी है। जो लोग अमेरिका को विश्वनेता मानते हैं, उनको यह खबर किसी सदमे से कम नहीं लगती है। अमेरिका में इबोला संक्रमण का पहला मामला टेक्सास राज्य के डलास शहर में दर्ज हुआ। एक लाइबेरिया-निवासी अमेरिकी, थोमस एरिक डंकन की डलास में 8 अक्टूबर को इबोला वायरस रोग से मृत्यु हो गयी। एरिक अपने परिवार से मिलने अकसर अमेरिका आते रहते थे। इसके पश्चात डंकन की देखभाल करने वाली दो नर्सों की संक्रमण के संदेह में जांच की गयी, परंतु सौभाग्य से ये दोनों संक्रमण रहित पायी गयीं। और जब ऐसा लगने लगा था कि अब यह रोग आगे नहीं फैलेगा, तभी न्यूयॉर्क में इबोला का पहला मामला सामने आ गया। एक अमेरिकी चिकित्सक (फिजिशियन), क्रेग स्पेंसर, जो कि हाल ही में गिनी से लौटे थे, रोग से संक्रमित पाये गये। स्पेंसर गिनी में चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले एक स्वयं सहायता समूह (एनजीओ), डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के लिये काम करने गए थे। ऐसे में शहर में फैले भय के वातावरण को नियंत्रित करने के लिये न्यूयॉर्क शहर के मेयर बिल डी ब्लासियो को जनता के बीच आना पड़ा व उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि स्थिति नियंत्रण में है व चिंता की कोई बात नहीं है। शहरवासियों की चिंता का सबसे बड़ा कारण यह था की जांच में इबोला संक्रमित पाये जाने से पहले स्पेंसर शहर में विभिन्न स्थानों पर घूमते हुए देखे गये थे। उन्होंने बहुत सी सब-वे (ट्रेन) लाइनों में यात्रा की थी व अपनी मंगेतर के साथ वह कुछ सार्वजनिक स्थानों पर भी देखे गये थे। इस लेख के लिखे जाते समय तक डॉ. स्पेंसर में रोग के कई लक्षण विकसित हो चुके हैं। खतरे को भांपते हुए पांच अमेरिकी राज्यों न्यूयॉर्क, इलिनोइस, न्यूजर्सी, कोनेक्टिकट व मैनने में पश्चिमी अफ्रीका के इबोला प्रभावित क्षेत्रों से आ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 21 दिन का आवश्यक आइसोलेशन (पृथक्करण) लागू कर दिया गया है।
हालांकि इबोला संक्रमण हवा द्वारा नहीं फैलता है, फिर भी इसकी संक्रामक प्रवृत्ति व घातकता को देखते हुए जल्द ही कड़े उपाय किये जाने की आवश्यकता है, अन्यथा यह अन्य देशों में भी फैल सकता है। वर्तमान युग में जहां हवाई यात्रा ने भौगोलिक दूरियां मिटा दी है, वहां इस वायरस का भारत सहित दुनिया के किसी भी देश में पहुंचना संभव है। अत: बेहतर यही होगा कि इस रोग का मुकाबला करने के लिये हम अपनी तैयारियों व संसाधनों को पहले ही दुरुस्त कर लें। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में यह वायरस बहुत तेजी से फैल सकता है। सरकार जहां हवाई अड्डों पर हो रही गहन जांच को स्थिति से निपटने के लिये पर्याप्त बता रही है, वहीं अमेरिका लौटने के एक हफ्ते बाद संक्रमित पाये गये स्पेंसर का मामला सरकारी दावों की धज्जियां उड़ा रहा है। कम से कम हमें स्टेट आॅफ आर्ट (अतिविकसित) आइसोलेशन केंद्र तो विकसित करने ही होंगे, जो रोग के संभावित आक्रमण के समय इसके प्रसार को रोकने में हमारी मदद करेंगे।
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