आतंकियों की बौखलाहट, पाकिस्‍तान से मिल रही मदद

आतंकियों की बौखलाहट, पाकिस्‍तान से मिल रही मदद
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आतंकवाद को पाकिस्तान का सहारा।
जम्मू-कश्मीर में हाल के वर्षों के सबसे बड़े आतंकवादी हमले, जिसमें हमारे 11 सुरक्षा बलों के बहादुर जवान मारे गए, उनमें सीमा पार की भूमिका थी यह मानने में कोई भी भारतीय शायद ही संकोच करे। वैसे भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की धमकियों, पूर्व के हमलों को चुनौती देते हुए लोग जितनी भारी संख्या में मतदान केंद्रों पर निकल कर आ रहे हैं, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाकर रिकॉर्ड बना रहे हैं उससे अगर कोई देश परेशान है तो वह है, पाकिस्तान और उसके पास रास्ता एक ही है, फिर से आतंकवादियों को भेजकर आतंक पैदा करे। हालांकि सात आतंकवादी मारे गए, पर उनके पास से बरामद सामनों से ऐसा लगता है कि वो लंबे संघर्ष की तैयारी करके आये थे। मारे गए आतंकवादियों के पास से बरामद असलहे और दूसरे साजो-सामान से भी यह प्रमाणित हो गया है कि उन्हें पाकिस्तानी सेना का पूरा समर्थन मिला हुआ था। आतंकियों से वही हथियार, उपकरण और खाने-पीने की चीजें मिली हैं, जिन्हें पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती है।
जरा देखिए, मुठभेड़ के बाद मारे गए आतंकियों से बरामद खाद्य पैकेज पाकिस्तान के हैं। ये ऐसे खाद्य पैकेट्स हैं जिनका पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती है। ये ज्यादा ऊर्जा और ताकत देनेवाले खाद्य सामग्रियां हैं जिनका सेना युद्घ के दौरान खाने के लिए इस्तेमाल करती है। इसके साथ ही आतंकियों से बरामद राइफलों में भी पाकिस्तान की मुहर लगी हुई है। आतंकियों से स्विट्जरलैंड में बने पर्वतारोहण वाले स्पेशल जूते, बर्फ में पहने जा सकने वाले कपड़े, नाइट विजन डिवाइस और जीपीएस सेट भी मिले हैं। आतंकियों के पास से जो जूते मिले हैं, उनकी एक जोड़ी की कीमत ही करीब 18 हजार रुपये है। इन जूतों के अलावा आतंकियों के पास इंसूलेटेड जैकेट और ट्राउजर थे। बिल्कुल इसी तरह के कपड़े सियाचिन में तैनात जवान पहनते हैं। इनके कपड़ों में कंटीली बाड़ पार करने के लिए रबर की इंसूलेटेड परत भी लगी थी। तो पाकिस्तान के पास क्या है इसका जवाब?
पाकिस्तान इसका खंडन कर रहा है जो कि अपेक्षित है। किंतु सच तो सच है जो सीधे दिख रहा है। आतंकियों के पास से जितने सामान मिले हैं उनसे साफ है कि वे पूरी तैयारी के साथ आए थे और कोशिश में थे कि कई दिनों तक मुठभेड़ की जाए। आतंकवादियों को आज की हालत में घाटी में पहले के समान समर्थन नहीं है। अगर सीमा पार से उनको सेना का सम्पूर्ण रणनीतिक सहयोग हासिल न होता तो उनके पास इस प्रकार की वस्तुयें होने की गुंजाइश ही नहीं होती।
ठीक इसी दिन जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने ऐतिहासिक मीनार-ए-पाकिस्तान पर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर में हो रहे चुनाव जनमत संग्रह का विकल्प नहीं हो सकते। उसने बताया कि जेहाद को आतंकवाद घोषित करने का प्रयास किया जा रहा है। सईद ने कहा कि नरेंद्र मोदी को स्पष्ट होना चाहिए और कश्मीर मुद्दा सुलझाना चाहिए और अगर यह नहीं सुलझता है तो इंशाअल्लाह हम कश्मीर के लिए भारत के खिलाफ जिहाद करेंगे। जाहिर है, यह आने वाले समय की ंिहंसा का संकेतक हो सकता है, लेकिन एक साथ चार जगहों पर हमला बिल्कुल अनपेक्षित था। उसके बाद से भी लगातार छोटे हमले हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में चुनाव अभी तक के चरणों में भारी मतदान से आतंकवादियों और पाकिस्तान को लग रहा है कि सब कुछ उसके हाथ से निकल रहा है। उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीनगर में सफल चुनावी सभा ने निश्चय ही उनको परेशान कर दिया है। आखिर उनके आगमन से तीन दिन पहले 12 घंटे में राज्य में चार जगहों पर हमला करने का उद्देश्य क्या हो सकता था। सभा को विफल करना तथा मतदान करने से लोगों को दूर रहने के लिए मजबूर करना।
पहले दौर के चुनाव के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर आतंकियों ने सेना के जवानों पर ग्रेनेड हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन निशाना चूकने की वजह से वह पहले ही फट गया। इस हमले में सात लोग घायल हुए थे। जम्मू से लगी अंतरराष्टÑीय सीमा पर बसे अरनिया सेक्टर के कथार गांव में भी आतंकियों ने सेना के खाली पड़े बंकर पर कब्जा कर फायरिंग की थी, जिसमें सेना के तीन जवान और इतने ही स्थानीय नागरिक मारे गए थे, जबकि कई घायल हुए थे। साफ है कि पाकिस्तान और आतंकवादियों ने भारत को और इसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सीधे-सीधे चुनौती दी है।
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