''आप'' में फूट पड़ना स्वाभाविक, आपसी मतभेद के चलते गवाई इज्जत

आम आदमी पार्टी मे मुद्दों, निजी अहं या स्वयं का वर्चस्व बनाए रखने के लिए जिस तरह का गंदा और जुगुप्सा पैदा करने वाला नेताओं का चेहरा सामने आया है उसे राजनीतिक इतिहास के किन अध्यायों में लिखा जाएगा यह आप तय करिए। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लात, घूंसे और अरविंद केजरीवाल के विरोधियों को बाहर फेंक दिया जाना पूर्व नियोजित ही हो सकता है। इसके पहले स्वयं केजरीवाल का फोन पर बात करते हुए कमीना और लात मारकर बाहर निकाल फेंकने की बात हमने सुनी। दुनिया में किसी देश की कुशलतम खुफिया एजेंसियां भी आपस की इतनी बातचीत को रिकॉर्ड नहीं करती होंगी। इस पार्टी के नेताओं ने दुनिया की सारी जासूसी और खुफिया एजेंसियों तक को पीछे छोड़ दिया। पता नहीं कौन किसकी बात को रिकॉर्ड करके रखे हुए है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता को मोबाइल से स्टिंग करने की सीख दी। उनकी पार्टी ने अवश्य इसका आत्मविनाशकारी तरीके से इस्तेमाल किया है। यह पार्टी में होते हुए एक दूसरे के प्रति गहरे आत्मविश्वास, घृणा और द्वेष का प्रमाण है। अगर आपसी विश्वास हो, पार्टी, विचार और संगठन के प्रति निष्ठा और समर्पण हो तो इस तरह परस्पर स्टिंग का कचरा सामने आ ही नहीं सकता। पार्टियों में आंतरिक कलह, सत्ता संघर्ष कहां नहीं हैं, पर ऐसा कूड़ा करकट तो कहीं फेंकते हुए नहीं देखा गया। आम आदमी पार्टी ने पत्रकार तक का स्टिंग कर लिया। इससे एक खतरनाक परंपरा आरंभ हुई है। कोई किसी से भी फोन पर बातचीत करते हुए डरेगा। इसलिए आम आदमी पार्टी की इस स्टिंग संस्कृति का उसके सर्वनाश में चाहे जितनी भूमिका हो, उससे ज्यादा खतरनाक पहलू इसका अन्य पार्टियों एवं सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों पर पड़ने वाला असर है।
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