परेशानी का सबब बना चीन

परेशानी का सबब बना चीन
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नवाज शरीफ ने चीन के साथ मिलकर भारत के विरुद्ध ऐसा शत्रुतापूर्ण कार्य कर डाला जिसकी भारत को उम्मीद नहीं थी।
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नई दिल्ली. दक्षेस सम्मेलन के दौरान नेपाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ अवश्य मिलाया, परंतु दिल मिल नहीं सके। अभी-अभी नवाज शरीफ ने चीन के साथ मिलकर भारत के विरुद्ध ऐसा शत्रुतापूर्ण कार्य कर डाला जिसकी भारत को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने पाकिस्तान और चीन के बीच 60 किलोमीटर का एक ‘फोर लेन इकोनोमिक कोरिडोर प्रोजक्ट’ का शिलान्यास किया। पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के खैबर प्रांत के बीच 297 मिलियन डॉलर का एक विशालकाय सड़क का निर्माण होगा जिससे चीन आसानी से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में पहुंच जाएगा।

चीन की अर्थव्यवस्था को इससे बहुत बल मिलेगा। क्योंकि अब खाड़ी के देशों से आने वाला तेल आसानी से कम खर्च में ग्वादर बंदरगाह से पम्प द्वारा या ट्रकों पर लदकर चीन की मुख्य भूमि में पहुंच जाएगा। भारत सरकार ने नि:संदेह इस योजना की कटु आलोचना की है, परंतु भारत की आलोचना को दरकिनार करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि यह एशिया के दो देशों के आर्थिक विकास की योजना है और किसी तीसरे देश को इसमें दखल देने की आवश्यकता नहीं है।

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यहां यह याद रखने वाली बात है कि पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत हमेशा से अपना हक जताता रहा है। हाल में खबर आई है कि पाक अधिकृत कश्मीर में बहुत बड़ी संख्या में चीन के सैनिक पाकिस्तानी सैनिकों को आतंकवाद की ट्रेनिंग दे रहे हैं। भारत के लिए यह अत्यंत ही चिंता का विषय है। भारत ने चीन का ध्यान इस गंभीर समस्या पर कई बार उठाया, परंतु चीन ने हमेशा यही कहा कि ये सैनिक नहीं हैंं, मजदूर हैं जो पाकिस्तान के आर्थिक विकास में सहायक हो रहे हैं। यह बात स्पष्ट है कि चीन और पाकिस्तान की मित्रता तेजी से आगे बढ़ रही है और दोनों देश भारत के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कार्रवाई कर रहे हैं। इधर एक और चिंताजनक खबर मिली है कि चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर तेजी से पन-बिजली परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है। इसके कारण भारत के उत्तरपूर्वी राज्य बुरी तरह तबाह हो जाएंगे।

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ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है। चीन में उसका नाम ‘राकलोंग सांगपो’ है। तिब्बत में कुछ दूर बहने के बाद यह नदी सीधे भारत में आकर गिरती है जहां इसका नाम ‘ब्रह्मपुत्र’ है। 2006 में अमेरिकी गुप्तचर सेटेलाइटों ने यह रहस्योद्घाटन किया था कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बहुत बड़ा डैम बना रहा है। जब भारत सरकार को इस तथ्य का पता चला तो उसने चीन के इस प्रस्ताव का विरोध किया, परंतु अपनी आदत के अनुसार चीन ने भारत को उस समय आश्वस्त कर दिया था कि भारत को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि चीन ऐसा कोई डैम नहीं बना रहा है और यदि भविष्य में कोई डैम बनाएगा भी तो उससे ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का बहाव प्रभावित नहीं होगा।

चीन हमेशा से कहता कुछ और है और करता कुछ और। अभी-अभी अमेरिकी गुप्तचर सेटेलाइटों ने यह पता लगाया है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन ने 510 मेगावाट का एक बिजलीघर ब्रह्मपुत्र के उस क्षेत्र में बना लिया है जिसका नाम ‘जांगमू’ है। यह तिब्बत में बनाई गई सबसे बड़ी पन-बिजली परियोजना है। इस क्षेत्र का नाम ‘यारलुंग जांगबो’ भी है। इस पन-बिजली परियोजना से 510 मेगावाट बिजली का उत्पादन तुरंत चालू हो जाएगा जिससे न केवल तिब्बत की बिजली की जरूरत पूरी होगी बल्कि चीन की मुख्य भूमि में भी इस पन-बिजली घर से बिजली की सप्लाई होगी। पश्चिम के सारे समाचारपत्रों में यह खबर छपी है कि इस डैम से भारत बुरी तरह प्रभावित होगा।

तिब्बत से भारत की ओर ब्रह्मपुत्र में आने वाले पानी का बहाव बहुत कुछ अवरुद्ध हो जाएगा और असम तथा उत्तर पूर्वी भारत के क्षेत्र साथ ही बांग्लादेश का एक बहुत बड़ा भूभाग अकालगस्त हो जाएगा। विशेषज्ञों ने यह डर भी जाहिर किया है कि जैसे चीन ने दक्षिण-पूर्व एश्यिाई देशों के साथ मेकांग नदी के मामले में किया था वही वह भारत के साथ भी करेगा। चीन में तिब्बत के क्षेत्र में मेकांग नदी पर बड़े-बड़े डैम बनाकर मेकांग नदी को एक तरह से पानी विहीन किया है। गर्मी के दिनों में लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में सिंचाई और पीने के पानी का घोर अभाव हो जाता है और जब घनघोर वर्षा होती है तब चीन अपने सारे डैमों को खोल देता है जिससे इन देशों में भयानक बाढ़ आ जाती है और लोग तबाह हो जाते हैंं। चीन अपना सारा काम चुपचाप करता है।

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