मानवता के शिखर पुरुष, महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए था समान

भारत की पुण्यभूमि पर अनेक अवसर ऐसे आये, जब यहां मानवीय चेतना का परम उद्घोष हुआ। जब इस धरती पर ऐसी देह अवतरित हर्इं जिन्होंने अपने श्रेष्ठतम कृत्यों से मनुष्य और परमात्मा के मध्य की दूरी को गिरा दिया। असंभव को संभव करने वाले ऐसे व्यक्तित्वों के समक्ष समूची मानवता नतमस्तक हुई। सभ्यता-संस्कृति के मंदिरों पर नए मूल्यों और देशनाओं के स्वर्ण कलश स्थापित हुए। सदियों उपरांत आज भी हम उन महानतम आत्माओं की प्रज्ञा के आलोक में अपने अनुत्तरित प्रश्नों के नए ताने-बाने बुनने को विवश हैं। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व थे-वर्धमान महावीर! सदियों से उनके ज्ञान की छाया में मनुष्यता ने अनेक उपलब्धियों के सोपानों को आत्मसात किया है। जीवन के मुरझाए हुए निष्प्राण मरुस्थल में एक ताजा हवा का झौंका हैं-महावीर।
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