26 जनवरी से आगे, इस व्यवस्था को दुरस्त रखना वहॉ की सरकार की जिम्मेदारी है

आजाद होने के बाद परिंदा उड़ान तभी भर सकेगा जब उसके पंख तरतीव में एक दूसरे के साथ सांमजस्य बनाते हुए फैल सकें। 15 अगस्त पहला चरण था तब केवल आजादी मिली थी। 26 जनवरी राष्ट्र की संवैधानिक व्यवस्था के अन्तर्गत समाजिक सांमजस्य के साथ आगे बढ़ने का आह्वाहन है। यदि 26 जनवरी पर मुझे भाषण करना हो तो वह पुरानी घिसी पिटी बातें बिल्कुल नहीं कहूंगा कि यह हमारे पूर्वजों की कुर्बानी को याद करने का दिन है या कि यह उनके बताए मार्ग पर चल कर उन्हें सच्ची श्रंदाजलि देने के संकल्प का दिन आदि, बल्कि कहना चाहूंगा कि 26 जनवरी को एक राष्ट्र जिसे हम प्यार करते हैं और जहॉ हम रहते है, वहॉ रहने वाले सभी नागरिकों के सामाजिक रिश्ते की व्याख्या या परिभाषा मिलने का एतहासिक दिन है।
शुक्रवार की वह शाम, शांति के दूत गांधीजी पर जब दागी गोलियां
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