अंग्रेजों के छोड़े काम को 62 साल में भी पूरा नहीं कर पाई हमारी सरकार! प्रभु कृपा करो

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By - haribhoomi.com |25 Feb 2015 6:30 PM
आजादी के 62 साल बाद भी सरकार नहीं बिछा पाई रेल लाइन।
अंबिकापुर. अंग्रेजों ने 79 वर्ष पहले संभागीय मुख्यालय को रेलवे से जोड़ने जिस महत्वाकांक्षी योजना को प्रारंभ किया था। उसे आजादी के 62 वर्ष बाद भी हमारी सरकारें पूरा नहीं करा सकी। स्थिति यह है कि आज भी आवागमन के लिए क्षेत्रवासी सड़क यातायात पर ही निर्भर हैं।
बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा क्षेत्र से कोयला उत्खनन में रुचि दिखाने के कारण अंग्रेज सरकार ने तीन सौ किमी लंबी बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन विस्तार करने की योजना बनाई थी। भू एवं वन संपदा के दोहन एवं परिवहन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाली इस योजना को प्रारंभ करने अंग्रेज सरकार ने वर्ष 1935 में स्वीकृति दी थी।
स्वीकृति मिलने के बाद ही रेल लाइन निर्माण के लिए जंगलों को काटने तथा भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरु हुई। युद्ध स्तर पर सारी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद अंग्रेज सरकार ने रेल लाइन निर्माण की कार्रवाई भी शुरु कर दी। ग्यारह सालों तक रेल लाइन का निर्माण कार्य सुचारु रुप से चलता रहा। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों का आंदोलन लगातार तेज होता गया। लोगों के बढ़ते विरोध से अंग्रेजों का भारत छोड़ना तय हो गया तो 1946 में तत्कालीन सरकार ने निर्माण कायरें को रोक दिया।
आजादी मिलने के बाद देश के लोगों ने नया सबेरा देखा और उत्साह के साथ अपनी कल्पना के साकार होने की उम्मीद करने लगे। आजाद भारत की सरकार बनी तथा तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुकूल विकास योजनाएं बनने लगी।
बुनियादी जरुरतों, रक्षा व्यय, नए राज्यों के गठन एवं कृषि विकास की प्राथमिकताएं तय हुई। प्राथमिकताओं के कारण सरकार दूसरी रेल परियोजनाओं को पूरा कराने में व्यस्त हो गई। सरकार एवं रेल मंत्रालय की व्यस्तता इतनी बढ़ गई कि किसी को भी इस आधी अधूरी परियोजना की तरफ देखने तक का अवसर नहीं मिला। दशकों पूर्व बने इस रेल खंड के आधे-अधूरे अवशेष आज भी अपने उपेक्षा की कहानी बयां कर रहे हैं।
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