रिजर्व बैंक ने किया खुलासा, इस वजह से ई-वॉलेट के इस्तेमाल में आई है भारी कमी

भारतीय रिजर्व बैंक ने यह साफ कर दिया है कि KYC यानि की नो योर कस्टमर रूल सभी यूजर्स के लिए किसी भी वित्तीय लेन-देन के लिए अनिवार्य है। यह नियम मोबाइल वॉलेट पर भी लागू होता है।
इससे पहले वॉलेट के साथ KYC प्रक्रिया पूरी करने की आखिरी तारिख 1 मार्च 2018 थी। इस डेडलाइन के दो महीन बाद भी यूजर्स ने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है। इससे पता लगता है की यूजर्स को वॉलेट का इस्तेमाल ना करने पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता।
95 फीसद ट्रांजैक्शन्स हुए कम: रिपोर्ट्स की मानें तो इससे ट्रांजेक्शन में 95 फीसद का नुकसान देखने को मिला है। दूसरे शब्दों में, KYC की प्रक्रिया डिजिटल इण्डिया को खत्म कर रही है या उस पर बड़ा दुष्प्रभाव डाल रही है।
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RBI अपने निर्णय पर करेगा पुनर्विचार?
भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्णय लिया था कि 1 मार्च 2018 के बाद जिन मोबाइल वॉलेट्स यूजर्स ने अपना KYC पूरा नहीं किया वो वॉलेट्स का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इस प्रक्रिया के पूरे ना होने पर वॉलेट यूजर्स वॉलेट में पैसे एड नहीं कर पाएंगे।
इससे वॉलेट ट्रांजैक्शन में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। हालांकि, वॉलेट में पहले से मौजूद पैसों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यूजर्स ने फिर भी KYC नहीं किया। इसका मतलब नई ट्रांजैक्शंस नहीं हो पा रहीं। इस बाबत अमेजन इंडिया ने घोषणा की है की अमेजन पे पर उनकी 95 प्रतिशत ट्रांजैक्शंस खत्म हो गई हैं।
अमेजन ने घाटे की घोषणा की: अमेजन के एक प्रतिनिधि ने बताया- 'कैश लोड 95 प्रतिशत तक घट गया है। इसका मतलब यह है की डिजिटल पेमेंट का अपनाने की प्रक्रिया कम हो जाएगी।
हम ऐसे उपभोक्ताओं को संलग्न करने में विफल हो रहे हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। हमने पहले ही बताया है की KYC के कड़े नियमों के कारण भारत में 80 प्रतिशत वॉलेट यूजर्स पर प्रभाव पड़ेगा।'
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क्या है परेशानी?
यहां परेशानी यह है की यूजर्स KYC के कड़े नियमों से अब उकता चुका है। फोन, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक अकाउंट, पैन कार्ड, रेल टिकट और अब मोबाइल वॉलेट को भी आधार या KYC से लिंक करना होगा।
ऐसा प्रतीत हो रहा है की यूजर्स अब KYC से जुड़े मामले से तंग आ चुके हैं। ऑक्सीजन सर्विसेज के जॉइंट मैनेजर सुनील कुलकर्णी के अनुसार- ' 10 प्रतिशत से भी कम वॉलेट यूजर्स ने KYC प्रक्रिया पूरी की है। इससे ओवरऑल यूसेज और ट्रांजैक्शंस पर असर पड़ रहा है।'
अगर यह ट्रेंड आगे भी रहता है तो हो सकता है की RBI के पास यह निर्णय वापस लेने या फिर इसे थोड़ा आसान बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा।
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