5जी टेक्नॉलजी के लिए 5 आईआईटीे ने मिलाया हाथ

भारत में 5जी टेक्नॉलजी के विकास के लिए एक 300 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए 5 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 200 से अधिक रिसर्चर, स्टूडेंट्स और टीचर्स ने हाथ मिलाया है।
दूरसंचार विभाग के इस प्रोजेक्ट को इन संस्थानों के सहयोग से चलने वाला सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में टेक्नॉलजी कंपनियों, टेलिकॉम ऑपरेटर्स, ऐकडेमिक और स्टार्ट-अप में 5जी का टेस्ट किया जाएगा ताकि इस पर रिसर्च और विकास किया जा सके।
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डेफाइंड, नेटवर्क और कोर नेटवर्क पर हो रहा काम
आईआईटी, बॉम्बे के डीन (फैकल्टी) अभय खांडेकर ने बताया, 'यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है जहां आईआईटी एक साथ काम कर रहे हैं और 200 से ज्यादा लोग एक टीम की तरह काम करेंगे।'
खांडेकर की 40 लोगों की टीम सॉफ्टवेअर डेफाइंड नेटवर्क, नेटवर्क फंक्शन और कोर नेटवर्क जैसी टेक्नॉलजी पर काम करेंगे। आईआईटी के प्रफेसर्स ने कहा कि यह प्रोजेक्ट दुनिया में 5जी का सबसे बड़ा टेस्ट होगा और यह तकनीक टेलिकम्यूनिकेशन इंडस्ट्री में गेम चेंजर साबित होगा।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और हाई-स्पीड पर डेटा ऐनालिटिक्स में प्रयोग होने वाली 5जी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और ऑटोमोबाइल जैसे अन्य सेक्टर्स में लाखों लोगों की जिंदगी में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला होगा।
5जी टेक्नॉलजी में 4जी के मुकाबले 10 गुना ज्यादा डेटा स्पीड मिलेगी।
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2020 तक शुरू होगा नेटवर्क
इस प्रोजेक्ट में मद्रास, हैदराबाद, बॉम्बे, दिल्ली और कानपुर की आईआईटी के साथ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बेंगलौर, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नॉलजी और सोयायटी फॉर माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियरिंग ऐंड रिसर्च के अधिकारी और प्रफेसर्स शामिल हैं।
इस प्रोजेक्ट को सरकार का पूरा सपॉर्ट मिल रहा है। बजट स्पीच में भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि टेलिकॉम डिपार्टमेंट 5जी टेस्ट को पूरा सपॉर्ट करेगा और पूरी दुनिया के साथ यह 2020 तक पूरी दुनिया में काम करने लगेगा।
पिछले साल भारत में 5जी के रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपए का बजट रखा है जिससे इस प्रोजेक्ट को फंड किया जाएगा।
20-30 करोड़ के होंगे उपकरण
आईआईटी दिल्ली के भारती स्कूल ऑफ टेलिकॉम टेक्नॉलजी के हेड ब्रिजेश लाल ने कहा, 'हम प्रोजेक्ट के लिए स्टाफ और शोधार्थियों की हायरिंग और उपकरणों की खरीददारी करेंगे जिनकी कीमत 20-30 करोड़ पर पीस होगी। पूरा प्रोजेक्ट लगभग 300 करोड़ का होगा।'
लाल की टीम में 20-30 फैकल्टी मेंबर्स और स्टूडेंट सिक्यॉरिटी, एनर्जी हार्वेस्टिंग, इंटरनेट जैसी तकनीकों पर काम करेंगे। इस प्रोजेक्ट में पहले ही कुछ टेलिकॉम कंपनियां जुड़ चुके हैं और इसमें मदद कर रहे हैं।
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