दुनिया में पहली बार Bitcoin को इस देश में मिली मान्यता, करेंसी की तरह लोग कर सकेंगे इस्तेमाल

दुनिया में पहली बार Bitcoin को इस देश में मिली मान्यता, करेंसी की तरह लोग कर सकेंगे इस्तेमाल
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अल सल्वाडोर (El Salvador) दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने बिटकॉइन को लीगल करेंसी के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया है। में अमेरिकी डॉलर की तरह लेनदेन में बिटकॉइन का प्रयोग किया जा सकेगा।

नई दिल्ली। दुनियाभर में धूम मचाने वाली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) पर वैधानिकता की मुहर लग गई है। अब इसे डॉलर (Dollar) के बराबर का दर्जा और उसी की तरह प्रयोग में लाने की शुरुआत हो गई है। दरअसल, अल सल्वाडोर (El Salvador) दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने बिटकॉइन को लीगल करेंसी के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया है। में अमेरिकी डॉलर की तरह लेनदेन में बिटकॉइन का प्रयोग किया जा सकेगा। कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति नायब बुकेले के क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने के प्रस्ताव को स्वीकृत किए जाने के बाद से ये पहला ऐसा देश बन गया, जहां लोग बिटकॉइन को औपचारिक तौर पर इस्तेमाल कर पाएंगे।

वोटिंग में बनी सहमति

अधिकांश सांसदों ने Bitcoin को औपचारिक रूप से अपनाए जाने को लेकर सहमति जताई। 84 में से करीब 62 वोट इसके पक्ष में​ दिए गए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund) के साथ अल सल्वाडोर के कार्यक्रम पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंता के बावजूद सांसदों ने बिटकॉइन को करेंसी की तरह इस्तेमाल किए जाने पर अपनी सहमति जताई। हालांकि बुकेले ने विदेशों में रहने वाले सल्वाडोर के लोगों को घर भेजने में मदद करने के लिए बिटकॉइन के उपयोग को अभी के लिए टाल दिया है, जबकि यू.एस. डॉलर को कानूनी निविदा के रूप में जारी रखा जाएगा। बुकेले ने वोट से कुछ समय पहले एक ट्वीट में कहा कि यह हमारे देश के लिए वित्तीय समावेशन, निवेश, पर्यटन, नवाचार और आर्थिक विकास लाएगा।

पेश किया जाएगा कानून

उन्होंने यह भी कहा कि बिटकॉइन का उपयोग वैकल्पिक होगा, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए किसी तरह का ​जोखिम नहीं रहेगा। बिटकॉइन को कानूनी निविदा यानी करेंसी के तौर पर इस्तेमाल करने योग्य बनाने के लिए 90 दिनों के अंदर कानून पेश किया जाएगा।

इसलिए पूरी दुनिया में मशहूर है अल सल्वाडोर

सेंट्रल अमेरिका में स्थित अल सल्वाडोर एक कैश इकोनॉमी है जहां 70 फीसदी जनता के पास बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। इस देश की जीडीपी में 20 फीसदी योगदान विदेशों में काम करने वाले अप्रवासी लोगों द्वारा भेजे गए धन का है। विदेश से पैसा आने में मध्यस्थ काफी कमीशन काट लेते हैं और पूरी प्रक्रिया में समय अलग लगता है।

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