Auto News: अगले दशक तक कौन-सा फ्यूल ऑप्शन होगा भविष्य के लिहाज से सुरक्षित?

अगले दशक तक कौन-सा फ्यूल ऑप्शन होगा भविष्य के लिहाज से सुरक्षित?
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देश में बदलते एमिशन नॉर्म्स और पुरानी गाड़ियों पर बैन के बीच ग्राहकों के सामने बड़ा सवाल है कि आगामी दशक में कौन-सा फ्यूल ऑप्शन उनके लिए सही और भविष्य के लिहाज से सुरक्षित होगा।

Auto News: पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कार बाजार में तेजी से बदलाव आया है। जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर प्रदूषण घटाने और हाइड्रोजन जैसे क्लीन फ्यूल पर काम शुरू करने की बातें भी जोर पकड़ रही हैं। टोयोटा जैसी कंपनियां हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी पर प्रयोग भी कर रही हैं।

ऐसे वक्त में ग्राहकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि आने वाले 10 सालों में कौन-सा फ्यूल ऑप्शन उनके लिए सही और भविष्य के लिहाज से सुरक्षित रहेगा। लगातार बदलते एमिशन नॉर्म्स और दिल्ली जैसे शहरों में पुराने वाहनों पर बैन ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। आइए जानते हैं पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों का भविष्य...

पेट्रोल कारें

पेट्रोल कारें हर बजट में आसानी से मिल जाती हैं और इनकी शुरुआती कीमतें डीजल या हाइब्रिड से कम होती हैं। नई तकनीकों जैसे टर्बोचार्ज्ड और डायरेक्ट इंजेक्शन इंजन से माइलेज भी बेहतर हुआ है। ईंधन भरवाने की सुविधा हर जगह आसानी से उपलब्ध है। हालांकि, बढ़ती इथेनॉल ब्लेंडिंग से भविष्य में पुरानी गाड़ियों की माइलेज प्रभावित हो सकती है। फिलहाल E20 फ्यूल कंप्लायंट गाड़ियां आ चुकी हैं, लेकिन आने वाले समय में मिश्रण और बढ़ने की संभावना है।

डीजल कारें

डीजल गाड़ियां अपने दमदार टॉर्क और ज्यादा माइलेज के लिए लोकप्रिय रही हैं। लेकिन कड़े नियमों और दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में बैन के चलते इनकी मांग घट गई है। फिर भी, ग्रामीण इलाकों और कमर्शियल इस्तेमाल के लिए डीजल कारें अब भी बेहतर विकल्प हैं।

इलेक्ट्रिक व्हीकल (EVs)

भारत में इलेक्ट्रिक कारों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। कम रनिंग कॉस्ट और मेंटेनेंस इनकी सबसे बड़ी ताकत है। सरकार इन्हें टैक्स लाभ और सब्सिडी से बढ़ावा भी दे रही है। हालांकि, महंगी शुरुआती कीमत और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी बड़ी चुनौती है। रोजाना शहर में इस्तेमाल के लिए ये कारगर हैं, जबकि लंबी दूरी तय करने वालों को अभी थोड़ा इंतजार करना चाहिए। सरकार का पूरा फोकस EVs पर है, इसलिए आने वाले 10-15 सालों तक ये सबसे फ्यूचर-प्रूफ विकल्प मानी जा रही हैं।

सीएनजी कारें

सीएनजी कारें किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं। इनकी रनिंग कॉस्ट पेट्रोल-डीजल से काफी कम होती है और रिफ्यूलिंग स्टेशन भी लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि, बूट स्पेस कम हो जाना और पावर में थोड़ी कमी इसकी कमजोरियां हैं। इसके बावजूद फिलहाल सीएनजी कारों का भविष्य सुरक्षित है, खासकर उन शहरों में जहां कमर्शियल वाहन भी सीएनजी से चल रहे हैं।

हाइब्रिड कारें

हाइब्रिड कारें पेट्रोल और इलेक्ट्रिक का संतुलन पेश करती हैं। ये बेहतर माइलेज देती हैं और प्रदूषण भी कम फैलाती हैं। स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड मॉडल्स साधारण पेट्रोल कारों की तुलना में करीब 10 kmpl तक ज्यादा माइलेज देते हैं। हालांकि, इनकी शुरुआती कीमत ऊंची है और भारत में EVs की तरह इन्हें नीति स्तर पर उतना प्रोत्साहन नहीं मिलता। लेकिन जब तक पेट्रोल कारें उपलब्ध रहेंगी, हाइब्रिड पर एमिशन नॉर्म्स का दबाव सीमित रहेगा।

(मंजू कुमारी)

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