Toll Tax: देश में टोल कलेक्शन 16 प्रतिशत बढ़ा, ट्रैफिक वॉल्यूम और दरों में संशोधन का असर

इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम ने देशभर में टोल भुगतान प्रक्रिया को सरल और तेज बना दिया
Toll Tax: भारत में हाईवे नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है और देश की सड़क परिवहन प्रणाली लगातार आधुनिक हो रही है। इसी के चलते राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की आवाजाही में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। बढ़ते ट्रैफिक वॉल्यूम और हर साल होने वाले टोल दरों के संशोधन का सीधा असर देश के टोल राजस्व पर पड़ा है। आईसीआरए एनालिटिक्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच भारत का टोल राजस्व 16 प्रतिशत बढ़कर ₹49,193 करोड़ तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अवधि में टोल भुगतान करने वाले वाहनों की संख्या (टोल योग्य ट्रैफिक वॉल्यूम) में लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह आंकड़ा 26,864 लाख लेनदेन तक पहुंच गया। यह साफ दर्शाता है कि सड़क मार्ग से यात्रा और माल ढुलाई दोनों में पिछले वर्षों की तुलना में काफी तेजी आई है।
इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन से बढ़ी पारदर्शिता और दक्षता
FASTag आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम ने देशभर में टोल भुगतान प्रक्रिया को सरल और तेज बना दिया है। इससे टोल प्लाज़ा पर लंबी कतारें कम हुई हैं और नकद लेनदेन पर निर्भरता घटी है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में देशभर में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन ₹57,940 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया — जो पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है। साथ ही कुल टोल लेनदेन की संख्या 2023 के 30,383 लाख से बढ़कर 2024 में 32,515 लाख हो गई, यानी 7 प्रतिशत की सालाना वृद्धि। यह देश में डिजिटल पेमेंट की बढ़ती स्वीकार्यता और सुविधा का संकेत है।
पश्चिम और दक्षिण भारत बने सबसे बड़े योगदानकर्ता
पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र मिलकर देश के कुल टोल राजस्व में 50% से अधिक हिस्सेदारी रखते हैं। पश्चिम भारत लगभग 30% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है। दक्षिण भारत 25%, जबकि उत्तर भारत 23% हिस्सेदारी रखता है। पूर्वी और मध्य भारत मिलकर करीब 25% योगदान देते हैं। यह वितरण दर्शाता है कि भारत का टोल राजस्व भौगोलिक रूप से संतुलित और विविध है।
माल ढुलाई में कौन से क्षेत्र आगे हैं?
पूर्व, मध्य और पश्चिम भारत में माल परिवहन गतिविधियां अधिक हैं, जहां कॉमर्शियल वाहनों की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है। वहीं उत्तर और दक्षिण भारत में यात्री वाहन प्रमुख हैं, जहां कार और जीप जैसी गाड़ियों की हिस्सेदारी 65–70% तक रहती है। मध्य भारत के एनएच-44, एनएच-47 और एनएच-52 जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग लंबी दूरी के माल परिवहन और इंटर-सिटी ट्रैफिक दोनों के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।
टोल राजस्व में आई यह तेज वृद्धि बताती है कि भारत में सड़क परिवहन, लॉजिस्टिक्स, व्यापार और यात्रा के सभी क्षेत्रों में निरंतर मजबूती बनी हुई है। हाईवे नेटवर्क के विस्तार और डिजिटल टोल सिस्टम के व्यापक उपयोग से आने वाले समय में टोल राजस्व में और वृद्धि देखने को मिल सकती है।
(मंजू कुमारी)
