Ford Returns India: भारत में दोबारा लौट रही फोर्ड, तमिलनाडु में 8 साल बाद शुरू होगा प्रोडक्शन

ford to returns india production in chennai plant starts by 2029
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भारत में दोबारा लौट रही फोर्ड चेन्नई प्लांट पुनः चालू

भारत में अपने ऑपरेशन के दौरान फोर्ड के चेन्नई और गुजरात के आणंद में दो प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग प्लांट थे। अब कंपनी नए सिरे से तमिलनाडु में प्रोडक्शन शुरू करेगी।

Ford Returns India: भारत में 2021 से अपना ऑपरेशन बंद करने के बाद अब फोर्ड एक बार फिर वापसी की तैयारी में है। अमेरिकी ऑटो दिग्गज ने निर्णय लिया है कि वह तमिलनाडु के मराइमलाई नगर स्थित अपने पुराने प्लांट को फिर से शुरू करेगी। इसके लिए कंपनी करीब 3,250 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। योजना के तहत प्रोडक्शन वर्ष 2029 से शुरू होगा और शुरुआती लक्ष्य हर साल लगभग 2.35 लाख इंजन तैयार करने का है।

Ford का भारत सफर और अब वापसी

भारत में अपने संचालन के दौरान Ford के दो प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग प्लांट थे — एक चेन्नई में और दूसरा गुजरात के साणंद में। 2021 में कंपनी ने वैश्विक स्तर पर अधिक लाभदायक बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय बाजार से बाहर निकलने का निर्णय लिया था। इसके बाद साणंद प्लांट को टाटा मोटर्स ने अधिग्रहित कर लिया, जबकि चेन्नई प्लांट Ford के पास बना रहा। हालांकि 2022 के बाद से यह यूनिट निष्क्रिय पड़ी थी।

2024 में Ford ने चेन्नई प्लांट को पुनः चालू करने की अपनी योजना तमिलनाडु सरकार के समक्ष रखी थी, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से निर्यात को बढ़ावा देना था। लेकिन जब अमेरिका ने आयात पर 25–50% तक का भारी शुल्क लगाया, तो कंपनी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा।

क्यों चुना गया चेन्नई प्लांट

भले ही अमेरिकी टैरिफ अब भी लागू हैं, चेन्नई प्लांट को दोबारा सक्रिय करने का फैसला कई लोगों को चौंका सकता है। हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि Ford इस यूनिट से यूरोप और अन्य वैश्विक बाजारों को टारगेट कर सकती है, जहां टैक्स दरें अपेक्षाकृत कम हैं।

कंपनी यहां अगली पीढ़ी के इंजन का निर्माण करेगी, जिन्हें ग्लोबल मार्केट्स में एक्सपोर्ट किया जाएगा। प्लांट में बड़े पैमाने पर अपग्रेड की प्रक्रिया इसी साल से शुरू होगी। संचालन शुरू होने के बाद यह फैक्ट्री करीब 600 नए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।

भारत में Ford की आगे की रणनीति

चेन्नई प्लांट, Ford की नई ‘Ford+’ रणनीति का अहम हिस्सा बनेगा, जिसका फोकस प्रॉफिटेबिलिटी, कैश फ्लो और ग्राहक संतुष्टि को मजबूत करना है। भारत की कम उत्पादन लागत, कुशल ऑटो कंपोनेंट सप्लाई चेन और चेन्नई पोर्ट की निकटता Ford के लिए बड़ी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करेगी।

मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेड से कंपनी को नए संयंत्र में भारी निवेश से बचत होगी। फिलहाल Ford का फोकस इंजन एक्सपोर्ट पर रहेगा, लेकिन यदि भविष्य में अमेरिका या यूरोप के साथ टैरिफ में कमी आती है, तो कंपनी भारत में वाहन निर्माण दोबारा शुरू करने पर विचार कर सकती है।

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(मंजू कुमारी)

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