Car Features: आजकल कारों में फीचर्स की भरमार, लेकिन ये फीचर्स बनें ड्राइवर्स के लिए सिर दर्द

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टचस्क्रीन में HVAC और बाकी कंट्रोल्स

आजकल कई कार कंपनियां इंटीरियर को मॉडर्न और प्रीमियम दिखाने के लिए अधिकांश कंट्रोल्स को टचस्क्रीन में शामिल कर रही हैं, लेकिन इसका नुकसान भी है।

Car Features: आज की नई कारों में LED लाइटिंग, वेंटिलेटेड सीट्स, बड़े टचस्क्रीन और कनेक्टेड टेक्नोलॉजी जैसे ढेरों फीचर्स दिए जा रहे हैं। इनमें से कई फीचर्स वाकई ड्राइविंग को आरामदायक और सुविधाजनक बनाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो ड्राइवर को उल्टा परेशान कर देते हैं। ये फीचर्स ड्राइविंग अनुभव को जटिल बनाते हैं और कई बार सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं होते।

1. टचस्क्रीन में HVAC और बाकी कंट्रोल्स

आजकल कई कार कंपनियाँ इंटीरियर को मॉडर्न और प्रीमियम दिखाने के लिए अधिकांश कंट्रोल्स को टचस्क्रीन में शामिल कर रही हैं, लेकिन इसका नुकसान भी है। पहले ड्राइवर बिना सड़क से नज़र हटाए फिजिकल बटन से आसानी से वॉल्यूम या HVAC कंट्रोल कर सकता था, जबकि अब टचस्क्रीन पर छोटे-छोटे आइकन खोजने पड़ते हैं। कई बार स्क्रीन लैग करती है या टच सही से रिस्पॉन्ड नहीं करता, जिससे समय और ध्यान दोनों भटकते हैं। नतीजा यह होता है कि ड्राइवर का फोकस कम हो जाता है और ड्राइविंग के दौरान डिस्ट्रैक्शन बढ़ जाता है, जो सुरक्षा के लिए बिल्कुल उचित नहीं है।

2. हर बार कार स्टार्ट करने पर ADAS बंद करना

ADAS एक एडवांस सुरक्षा तकनीक है, लेकिन भारतीय ट्रैफिक, कमजोर लेन मार्किंग और संकरी सड़कों पर यह कई बार परेशानी भी पैदा करता है। दिक्कत तब बढ़ जाती है जब कुछ कारें हर बार स्टार्ट होने पर ADAS सेटिंग्स को ऑटो-रीसेट कर देती हैं, जिससे ड्राइवर को हर सफर की शुरुआत में इसे मैन्युअली बंद करना पड़ता है। इसके अलावा AEB (ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेक) कई बार ऐसे हालात में भी सक्रिय हो जाता है जहाँ इसकी जरूरत नहीं होती, जिससे पीछे से टक्कर का खतरा बढ़ सकता है और ड्राइवर की ड्राइविंग लय भी बिगड़ जाती है।

3. ज़रूरत से ज़्यादा और तेज़ अलर्ट्स

सेफ्टी अलर्ट जरूरी होते हैं, लेकिन कई कारों में ये जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर ओवर-अलर्टिंग की समस्या पैदा कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर, पीछे कोई बैठा न होने पर भी कुछ कारों में रियर सीट-बेल्ट वॉर्निंग लगातार बजती रहती है। वहीं भारी ट्रैफिक में पार्किंग सेंसर और ADAS अलर्ट बिना वजह बार-बार बीप करने लगते हैं। ऐसी तेज़ और लगातार आने वाली आवाजें ड्राइवर का ध्यान भटका देती हैं और ड्राइविंग अनुभव को काफी परेशान करने वाला बना देती हैं।

4. स्टीयरिंग पर कैपेसिटिव टच बटन

स्टीयरिंग पर दिए गए कंट्रोल्स ड्राइविंग के दौरान काफी मददगार होते हैं, लेकिन टच-सेंसिटिव बटन अक्सर उतने भरोसेमंद साबित नहीं होते। ये इतने ज्यादा सेंसिटिव होते हैं कि हल्की सी स्पर्श या अनजाने में हुई हरकत से भी एक्टिव हो जाते हैं। ऐसे में बिना चाहे गाना बदल जाना, कॉल रिसीव हो जाना या वॉल्यूम एडजस्ट हो जाना आम बात है। इस तरह की अचानक हुई क्रियाएँ ड्राइवर का ध्यान सड़क से भटका देती हैं, जिससे सुरक्षा पर सीधा असर पड़ता है।

5. इंजन ऑटो स्टार्ट/स्टॉप फीचर

ट्रैफिक में ईंधन बचाने के लिए ऑटो स्टार्ट/स्टॉप फीचर को उपयोगी माना जाता है, लेकिन यह हर स्थिति में सहज अनुभव नहीं देता। कई बार इंजन कार के पूरी तरह रुकने से पहले ही बंद हो जाता है, जिससे ड्राइविंग लय बिगड़ जाती है। रिस्टार्ट होने में भी अक्सर ज्यादा समय लग जाता है, खासकर भारी ट्रैफिक में, जहाँ इससे झटका लगने या आगे बढ़ने में देरी की स्थिति बनती है। इसी कारण कई ड्राइवर इस फीचर को बार-बार मैन्युअली बंद करके ही ड्राइव करना पसंद करते हैं।

6. अत्यधिक एंबिएंट लाइटिंग

एंबिएंट लाइटिंग कार के केबिन को प्रीमियम लुक जरूर देती है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ड्राइविंग के दौरान परेशानी पैदा कर सकता है। कई कारों में इतनी तेज और बहुरंगी रोशनी दी जाती है कि यह ड्राइवर का ध्यान भटका देती है। खासतौर पर तब जब यह ADAS या अन्य अलर्ट्स के साथ सिंक होकर बार-बार चमकने लगती है, जिससे आँखों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। रात में ऐसी चमकदार लाइटिंग सड़क पर फोकस कम कर देती है और ड्राइविंग को मुश्किल बना सकती है।

(मंजू कुमारी)

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