Car Buying Tips: यूज्ड कार खरीदते वक्त इन 6 बातों पर करें गौर, मिलेगी शानदार डील

Car Buying Tips: आजकल जहां एक तरफ ऑटो कंपनियां लगातार नई गाड़ियां लॉन्च कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ लोगों का रुझान सेकेंड-हैंड (यूज़्ड) कारों की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। खासकर कोरोना महामारी के बाद लोगों की सोच में बदलाव आया है और अब कई लोग प्री-ओन्ड कार को बेहतर विकल्प मानते हैं। वजह साफ है – कम कीमत में बढ़िया कार, ज्यादा विकल्प और जेब पर हल्का बोझ। यही कारण है कि भारत का यूज़्ड कार मार्केट लगातार विस्तार कर रहा है और आने वाले समय में और बड़ा होने की उम्मीद है। पढ़ें, सेकेंड-हैंड कार खरीदते समय ध्यान रखने योग्य 6 ज़रूरी बातें...
1. कीमत में सीधी बचत
नई कार शोरूम से बाहर निकलते ही अपनी वैल्यू खो देती है। पहले ही साल में उसकी कीमत लगभग 20% तक कम हो जाती है। ऐसे में एक साल पुरानी कार खरीदकर आप बड़ी बचत कर सकते हैं। अक्सर नई कारें पहले साल बहुत कम चली होती हैं, इसलिए आपको कम कीमत में अच्छी कंडीशन वाली कार मिल सकती है। लेकिन केवल दाम देखकर खरीदने की गलती न करें, कार की पूरी जांच ज़रूर करें।
2. मनचाहा वेरिएंट कम दाम में
नई कार का टॉप मॉडल महंगा होता है, जबकि सेकेंड-हैंड मार्केट में वही वेरिएंट काफी सस्ते में मिल सकता है। थोड़ी मेहनत से खोजने पर कभी-कभी ऐसी कार भी मिल जाती है जो कम चली हो और टॉप-स्पेक वेरिएंट हो, और जिसकी कीमत नई कार के बेस मॉडल जितनी हो।
3. कम लोन और इंश्योरेंस खर्च
पुरानी कार की कीमत कम होने की वजह से आपको ज्यादा लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ती। इसका फायदा है कम EMI और ब्याज बोझ। हालांकि, सेकेंड-हैंड कार लोन पर ब्याज दर थोड़ी ज्यादा होती है। दूसरी ओर, इंश्योरेंस प्रीमियम नई कार की तुलना में काफी कम होता है, क्योंकि उसकी इंस्यूर्ड वैल्यू (IDV) पहले से घट चुकी होती है।
4. पेपरवर्क आसान
अगर आप किसी अधिकृत डीलरशिप से कार खरीदते हैं तो गाड़ी की पूरी जांच और कागजी कार्रवाई डीलर ही संभाल लेता है, जिससे आपका काम आसान हो जाता है। लेकिन, अगर किसी निजी व्यक्ति से कार ले रहे हैं तो सारे डॉक्यूमेंट्स और ट्रांसफर का ध्यान आपको खुद रखना होगा।
5. वारंटी का लाभ हर बार नहीं
अगर कार किसी कंपनी की डीलरशिप से ली गई है और वह अभी भी वारंटी पीरियड में है, तो आपको कंपनी की ओरिजिनल वारंटी के साथ डीलर की अतिरिक्त वारंटी भी मिल सकती है। लेकिन किसी निजी विक्रेता से कार लेने पर आमतौर पर वारंटी ट्रांसफर नहीं होती।
6. लिमिटेड ऑप्शन
नई कार मार्केट में आपको कई वेरिएंट और कलर ऑप्शन मिलते हैं, लेकिन सेकेंड-हैंड मार्केट में विकल्प सीमित होते हैं। हो सकता है कि जिस खास मॉडल या वेरिएंट की तलाश में आप हों, जैसे ह्यूंदै क्रेटा का टॉप वर्जन, वो उपलब्ध ही न हो।
(मंजू कुमारी)
