Tesla in India: टेस्ला को भारत में इलेक्ट्रिक कार बनाने में दिलचस्पी नहीं, सिर्फ शोरूम से करना चाहती है बिजनेस

Tesla not interested in manufacturing EVs in India: एलन मस्क की टेस्ला की भारतीय एंट्री की कुंडली में कोई बड़ा दोष आ गया है। दरअसल, जब भी लगता है कि उसकी भारतीय एंट्री को लेकर सब कुछ बढ़िया है, तभी एक नया पेंच सामने आ जाता है। एक बार फिर ऐसा ही हुई है। दरअसल, ANI की रिपोर्ट के अनुसार, हैवी इंडस्ट्री मिनिस्टर एच डी कुमारस्वामी ने बताया कि टेस्ला निकट भविष्य में भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल नहीं बनाएगी। टेस्ला बाजार में लॉन्च की तैयारी कर रही है, लेकिन लोकल प्रोडक्शन उसकी तत्काल योजनाओं का हिस्सा नहीं है।
मुंबई के बांद्रा में खोला शोरूम
मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में शोरूम की जगह तय करने और स्टोर मैनेजर और सर्विस स्टाफ सहित भारत में दो दर्जन से अधिक कर्मियों को काम पर रखने के बावजूद, टेस्ला कथित तौर पर इस स्तर पर लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर विचार नहीं कर रही है। कंपनी ने भारत में अपने ईवी बेचने के लिए सर्टिफिकेशन और होमोलोगेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है कि अगले दो से तीन महीनों के भीतर बाजार में अपनी पहली कार उतार देगी। यह देश द्वारा जेनरस इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पॉलिसी के माध्यम से ग्लोबल व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स को लुभाने के हाल के प्रयासों के बावजूद हुआ है।
टैक्स को कम करने की मांग
भारत ने टेस्ला जैसी प्रमुख कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मार्च 2024 में एक प्रमुख ईवी नीति पेश की थी, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग प्रतिबद्धताओं के बदले में कम आयात शुल्क की पेशकश की गई थी। नीति के तहत, कंपनियां सालाना 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का आयात 15% की काफी कम ड्यूटी पर कर सकती हैं, बशर्ते वे तीन साल के भीतर स्थानीय उत्पादन स्थापित करने के लिए कम से कम ₹4,150 करोड़ (लगभग $500 मिलियन) का निवेश करें। योजना के लिए आवेदन जल्द ही खुलने और 15 मार्च, 2026 तक सक्रिय रहने की उम्मीद है।
भारत में बढ़ रही EV की मांग
नीति का उद्देश्य दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार भारत को ईवी निवेश के लिए एक प्रमुख के रूप में स्थापित करना है। जबकि ग्लोबल ईवी की मांग कम हो रही है, भारत लगातार दिलचस्पी दिखा रहा है। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में योजना के तहत पात्रता मानदंड कड़े कर दिए हैं, चौथे वर्ष में ₹5,000 करोड़ और पांचवें वर्ष में ₹7,500 करोड़ की न्यूनतम राजस्व आवश्यकता पेश की है। इन लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहने वाली कंपनियों को राजस्व की कमी पर 3% तक का जुर्माना लग सकता है।
(मंजू कुमारी)