Benefits of Panchamrit: मंदिरों में क्यों बांटा जाता है पंचामृत, जानें इसके बनाने की विधि और महत्व

Benefits of Panchamrit: मंदिरों में क्यों बांटा जाता है पंचामृत, जानें इसके बनाने की विधि और महत्व
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Benefits of Panchamrit: शायद सभी लोगों ने चरणामृत और पंचामृत दोनों ही पिया होगा। क्या आपको पता है चरणामृत और पंचामृत की महिमा और इसके बनाने की प्रक्रिया को। अगर नहीं जानते हैं तो पढ़िये इसका महत्व और बनाने की सारी प्रक्रिया...
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Benefits of Panchamrit: अक्सर आप मंदिर जाते होंगे और वहां पर पुजारी जी चरणामृत या पंचामृत देते हैं। शायद सभी लोगों ने चरणामृत और पंचामृत पिया होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि चरणामृत और पंचामृत की महिमा क्या है। अगर आप इससे अंजान हैं तो हम इन दोनों की महिमा बताते हैं। साथ ही, चरणामृत और पंचामृत बनाने की सारी प्रक्रिया भी बताते हैं।

पंचामृत का क्या होता है अर्थ

पंचामृत का अर्थ होता है पांच अमृत यानी पांच चीजों से बनी वे वस्तुएं जो अमृत के समान हो। पंचामृत में दूध, शहद, घी, दही और शक्कर को मिलाकर बनाया जाता है। पांच प्रकार के बने पंचामृत कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। ऐसी मान्यता है कि पंचामृत का एक आध्यात्मिक पहलू भी होता है, जो पंचामृत आत्मोत्रति के 5 प्रतीक हैं, जो नीचे बताए गए हैं।

पंचामृत बनाने वाले पांच सामग्रियां

दूध- पंचामृत बनाने में दूध सर्व प्रथम भाग है। दूध सुभ्रता का प्रतीक होता है। अर्थात दूध हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए।

शहद- शहद मीठा होने के साथ बहुत ही शक्तिशाली होता है। शहद निर्बल व्यक्ति के जीवन में तन और मन में शक्तियां भर देता है। इससे सफलता पाने में कामयाबी मिलती है।

दही- पंचामृत में दही का गुण अपने जैसा बनाता है। इसमें दही चढ़ाने का अर्थ है कि पहले हमें निष्कलंक हो जाएं फिर सद्गुण को अपनाएं। इसके साथ ही दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।

घी- पंचामृत में घी स्त्रिग्धता और स्नेह का प्रतीक माना गया है। यानी घी हमारे जीवन में स्नेहयुक्त संबंध बनाने की भावना होती है।

शक्कर- शक्कर का गुण मिठास बनाए रखना होता है। पंचामृत में शक्कर चढ़ाने का अर्थ जीवन में मिठास घोलना। शक्कर घोलने से हर किसी की आवाज में मधुरता बनी रहती है। इससे मधुर व्यवहार भी बनता है।

पंचामृत से क्या मिलते हैं लाभ

शास्त्रों के अनुसार, पंचामृत का सेवन करने से जातक का शरीर पुष्ट और रोग मुक्त रहता है। ऐसी मान्यता है कि जिस तरह भगवान को पंचामृत से स्नान कराते हैं, उसी तरह खुद पंचामृत से स्नान किया जाए तो इससे शरीर की कांति बढ़ती है। पंचामृत का सेवन पंडित जी द्वारा बताए गए मात्रा में सेवन करना चाहिए, इससे ज्यादा नहीं।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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