एक ही परिवार में कोई हिन्दू तो कोई मुसलमान, मुगल बादशाह अकबर ने कराया था इस्लाम कबूल

खेड़ा साधन में एक परिवार में अगर चार भाई हैं तो उनमें से दो हिन्दू हैं और दो मुसलमान। पति अगर हिन्दू तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी पत्नी मुसलमान है या उसके बच्चों के नाम हिन्दू परंपरा से रखे गए हैं या इस्लामिक। यहां मुसलमान मंदिरों में जाते हैं और हिन्दू दरगाहों पर। ईद और दीवाली पर आप किसी घर को देखकर नहीं बता सकते कि कहां कौन से धर्म के लोग रहते हैं। मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनके राज में कराया था इस्लाम कबूल, आजादी के बाद कुछ हिंदू तो कुछ मुसलमान रह गए, तब से धर्म के मायने ही खत्म हो गए।
गीता और कुरान एक साथ रखे सलीम ठाकुर कहते हैं कि जब हम सांप्रदायकि दंगों की बात सुनते हैं तो बहुत हैरत होती है। वह बताते हैं, जब से मैंने होश संभाला है, मेरे पड़ोसी लव कुश सिंह को मैंने ईद पर नमाज पढ़ते देखा है और गांव के बाकी लोगों की तरह वह होली और दीवाली भी खूब धूमधाम से मनाता है। यहां इस्लाम की सिर्फ तीन मान्यताएं हैं, खतना, हलाल मीट और अंतिम संस्कार। बाकी किसी लिहाज से मुसलमान हिन्दू से जुदा नहीं हैं।
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