कैश कांड को लेकर जांच समिति ने CJI को सौंपी रिपोर्ट: अगर इस्तीफा नहीं देते जस्टिस यशवंत वर्मा, तो क्या हो सकती है कार्रवाई?
Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर भारी मात्रा में कैश मिलने के मामले में जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। ऐसे में अगर वर्मा के खिलाफ आरोप तय होते हैं, तो उनके पास क्या दो ऑप्शन हैं, आइए जानते हैं....
Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के स्टोर रूम में 14 मार्च को आग लगी थी। जहां पर कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश मिला। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के निर्देश के अनुसार जांच कमेटी बनाई गई। जांच कमेटी ने 42 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट सौंप CJI संजीव खन्ना को सौंप दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले में अब सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा को रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए दो दिनों का समय दिया है। आरोप सही पाए जाने के बाद जस्टिस वर्मा के पास इस्तीफा देने का विकल्प है। ऐसे में सवाल ये है कि अगर जस्टिस यशवंत वर्मा इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है?
रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस करेंगे कार्रवाई
बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में मिले कैश को लेकर जो जांच कमेटी बनाई गई थी। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कमेटी ने इस मामले में 42 दिनों बाद रिपोर्ट सौंपी है। इस मामले में रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस आगे की कार्रवाई करेंगे।
अगर इस्तीफा नहीं देंगे वर्मा, तो महाभियोग का विकल्प
वर्तमान हालातों के अनुसार, अगर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोप तय होते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा। हालांकि अगर वर्मा इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस मामले में राष्ट्रपति के संसद में अभिभाषण के बाद निष्कासन का आदेश जारी किया जा सकता है। महाभियोग में न्यायाधीश को उसके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव को संसद के प्रत्येक सदन से विशेष बहुमत मिलना अनिवार्य है।
क्या होता है महाभियोग?
बता दें कि किसी पद पर बैठे व्यक्ति को उस पद की सभी शक्तियों और जिम्मेदारियों से हटाने का निर्णय लेने में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को महाभियोग कहा जाता है। ये प्रक्रिया आमतौर पर न्यायिक अदालतों के न्यायाधीशों, राष्ट्रपति और अन्य संवैधानिक पदों पर कार्यरत लोगों पर लागू होती है।
पद छोड़ने के बाद भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें
जानकारों की मानें, तो अगर जस्टिस यशवंत वर्मा अपना पद छोड़ भी देते हैं, तो भी उनकी परेशानियां खत्म नहीं होंगी। पद छोड़ने के बाद उन पर वही कानून लागू होगा जो आम इंसान पर लागू होता है। पद छोड़ने के बाद भी अगर सरकार कार्रवाई करना चाहे, तो संबंधित एजेंसियां मामले को आगे बढ़ा सकती हैं। ऐसे में अगर वर्मा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनता है, तो उसमें दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।
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(Deepika)