Fake CBI Loot: 'सीबीआई से हैं...', दिल्ली में लुटेरे बने फर्जी अधिकारी, व्यापारी से लूटे करोड़ों
Delhi Fake CBI Loot: दिल्ली के विवेक विहार में कुछ लुटेरों ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर करोड़ों रुपये लूट लिए। पुलिस ने इस मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जानें पूरा मामला...
फर्जी सीबीआई अधिकारी बन लूट करने वाले 2 आरोपी गिरफ्तार।
Delhi Fake CBI Loot Case: दिल्ली से एक बार फिर बड़ी लूट का मामला सामने आया है। दिल्ली के विवेक विहार इलाके में कुछ लुटेरों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर व्यापारी के ऑफिस पर छापेमारी की। लुटेरों ने सीबीआई के नाम पर ऑफिस में रखे 2.3 करोड़ रुपये लूट लिए। इस मामले की शिकायत पर मिलने पर दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।
शिकायतकर्ता मनप्रीत गाजियाबाद के इंदिरापुरम के रहने वाले हैं। मनप्रीत ने बतया कि वे फाइनेंस, प्रॉपर्टी डीलिंग और कंस्ट्रक्शन कामों से जुड़े हैं। मनप्रीत ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उन्होंने विवेक विहार स्थित इमारत के ऑफिस में अपनी कमाई के 2.5 करोड़ रुपये रखा हुए थे। पीड़ित व्यापारी ने बताया कि उन्होंने 19 अगस्त को अपने दोस्त रविशंकर से विवेक विहार से 1.10 करोड़ रुपये लेकर अपने घर लाने को कहा था। इस दौरान चार लुटेरे फर्जी अधिकारी बनकर पहुंचे और अपने जाल में फंसाकर रुपये से भरा बैग लूट लिया।
कैसे हुई करोड़ों की लूट?
पीड़ित मनप्रीत ने अपनी शिकायत में बताया कि रवि शंकर कैश से भरा बैग लेकर ऑफिस से बाहर निकल रहा था। उसी समय 2 कारों में एक महिला समेत 4 लोग वहां पर पहुंचे और उसे रोक लिया। उन चारों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने रविशंकर से मारपीट की और कैश से भरा बैग छीन लिया। इसके बाद आरोपी उसे जबरन ऑफिस के अंदर ले गए और वहां पर उन्होंने मनप्रीत के कर्मचारी दीपक माहेश्वरी की पिटाई की। आरोपियों ने ऑफिस के अंदर बचा हुआ बाकी का कैश भी लूट लिया।
दो आरोपी गिरफ्तार
इस मामले की शिकायत मिलने पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से 2 आरोपियों की पहचान कर उन्हें पकड़ लिया। इनकी पहचान पापोरी बरुआ (31) के रूप में हुई, जो कि मूल रूप से असम का रहने वाला है, जबकि दूसरे आरोपी की पहचान तुगलकाबाद के रहने वाले दीपक (32) के रूप में की गई।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इस गिरोह के लुटेरों ने पीड़ित के दोस्त और कर्मचारी को अपनी गाड़ी में बंधक बना लिया था। उन्होंने दोनों को धमकी दी कि वे किसी को इस बारे में न बताएं। इसके बाद आरोपियों ने रविशंकर को चिंतामणि अंडरपास के करीब छोड़ दिया, जबकि कर्मचारी को निगमबोध घाट के पास उतार दिया।