Delhi High Court: मैट्रिमोनियल साइट पर प्रोफाइल माता-पिता ने बनाया, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- शादी कैंसिल
एक व्यक्ति ने मैट्रिमोनियल साइट पर गलत ढंग से जानकारियां साझा की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामूली चूक नहीं है। पढ़िये रिपेार्ट...
प्रतीकात्मक तस्वीर।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मैट्रिमोनियल साइट पर वैवाहिक स्थिति को गलत ढंग से पेश करने को शादी रद्द करने का वैध अधिकार है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बकरार रखा हैं, जिसमें शादी को रद्द कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने कहा कि वैवाहिक स्थिति में गलत ढंग से जानकारियां देना विवाह की नींव को कमजोर करता है। यह स्वतंत्र एवं सूचित सहमति के मूल पर भी प्रहार करता है। हाईकोर्ट ने शादी रद्द करने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।
खुद को बताया था अविवाहित
महिला ने ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि उसके पति ने मैट्रिमोनियल साइट पर अपनी वैवाहिक स्थिति को गलत ढंग से दिखाया था। उसने लिखा था कि वो अविवाहित है, उसने अपनी पिछली शादी की बात को छिपाया था। उसने अपनी सैलरी को भी बढ़ा चढ़ाकर बताया था। महिला ने तर्क दिया कि उसकी सहमति भी धोखे से ली गई। वो केवल ऐसा पुरुष चाहती थी, जिसकी कभी शादी न हुई हो। उसने फिल्टर के आधार पर प्रोफाइल सर्च किए तो उसका प्रोफाइल मिला और बातचीत में भी उसने खुद को अविवाहित ही बताया।
पति ने दिया यह तर्क
उधर, महिला के पति ने तर्क दिया कि उसका प्रोफाइल उसके माता पिता ने बनाई थी। उसने कहा कि उसकी पत्नी को पहले से पता था कि वो उसकी पहले शादी हो चुकी है। उसने बताया कि उसके माता पिता को उसके पिछली शादी और तलाक के बारे में पता नहीं था। उधर, महिला का तर्क है कि सेलरी को भी बढ़ा चढ़ाकर धोखा दिया।
ट्रायल कार्ट का आदेश बरकरार रखा
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि मैट्रिमोनियल साइट पर गलत जानकारियां देना शादी को रद्द करने का वैध अधिकार है। बेंच ने कहा कि मैट्रिमोनियल साइट पर महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाना मामूली चूक नहीं है। उन्होंने ट्रायल कोर्ट के इस शादी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है।