Delhi High Court: जेएनयू रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का आदेश, टिप्पणी भी खारिज
Delhi High Court: जेएनयू की छात्रा से रेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश पलट दिया। साथ ही इस दौरान की गई टिप्पणी को भी खारिज कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए जेएनयू रेप केस में अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला से दोस्ताना संबंध होना या उसकी मर्जी से कमरे में जाना सहमति नहीं माना जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अमित महाजन की बेंच ने छात्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अमित महाजन की बेंच ने छात्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई लड़की अपनी मर्जी से आरोपी के हॉस्टल में गई थी, तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि यौन उत्पीड़न के लिए उसकी मंजूरी हो। हालांकि महिला ने कोर्ट में आरोप लगाया था कि आरोपी उसका दोस्त है और उसने दो बार उसे हॉस्टल में बुलाया और उसकी बिना सहमति के यौन उत्पीड़न किया।
जानकारी के अनुसार, इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने रेप के आरोपी शख्स को जमानत देते हुए टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि महिला अपनी मर्जी से उसके हॉस्टल में रुकी थी। पहली घटना के बाद भी महिला आरोपी से बातचीत करती रही और भविष्य में भी मिलने की योजना बना रही थी। इसका साफ मतलब ये है कि महिला दूसरी बार अपनी मर्जी से उसके कमरे में गई थी। इससे यौन संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति का संकेत मिला।
इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के तर्क से महिला के चरित्र पर अनुचित आक्षेप लगते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय जमानत के स्तर पर आरोपों की संभावना का आकलन नहीं कर सकता। कोई महिला अपनी इच्छा से किसी के कमरे में गई है, इसके कारण किसी भी व्यक्ति को यौन उत्पीड़न का अधिकार नहीं दिया जा सकता।