Delhi Shiva Temples: शिव भक्तों को एक बार दिल्ली के इन मंदिरों के करने चाहिए दर्शन, रावण काल से जुड़ा है नाता
अगर आप दिल्ली के रहने वाले हैं और शिव जी के भक्त हैं, तो आपको दिल्ली के कुछ सिव मंदिरों में जरूर जाना चाहिए। यहां हम आपको कुछ ऐसे शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका इतिहास काफी पुराना है।
दिल्ली के पौराणिक शिव मंदिर
Delhi Shiva Temples: ऐसे तो शिवजी भगवान के दर्शन आप कभी भी किसी समय कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में शिव की पूजा और जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। कहते हैं विष्णु भगवान चार महीनों के लिए प्रकृति का सारा कामकाज शिवजी भगवान को सौंप कर योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए सावन का महीना शिवजी को समर्पित है और इस दौरान उनकी पूजा का विशेष महत्व है। सावन का महीना भगवान शिव का अति प्रिय महीना है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दौरान भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से इस महीने व्रत, ध्यान और मंदिरों में जाकर दर्शन करना शुभ माना जाता है। आज हम आपको दिल्ली के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इन मंदिरों में जाकर आप एक सुखद अनुभव कर सकते हैं।
प्राचीन गौरी शंकर मंदिर
प्राचीन गौरी शंकर मंदिर पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। कहा जाता है कि ये मंदिर आठ सौ साल पुराना है। जानकारी के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण मराठा सैनिक आपा गंगाधर ने करवाया था। ऐसा माना जाता है कि मराठा सिपाही भोलेनाथ का भक्त ता और वो जंग के दौरान घायल हो गया था। उसका मानना था कि वह भोलेनाथ की कृपा से ही बिल्कुल ठीक हुआ है। जिसका सबूत मंदिर की छत पर लगे पिरामिड के निचले हिस्से में देखने को मिलता है। इस मंदिर में भोले नाथ के साथ उनका पूरा परिवार मौजूद है। यहां सुबह 5 बजे से ही भक्तों का तांता लग जाता है। यह पुरानी दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध और चर्चित मंदिर है।
नीली छतरी मंदिर
भगवान शिव को समर्पित नीली छतरी मंदिर का निर्माण पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने करवाया था। यह यमुना घाट के तट के पास रिंग रोड मार्ग पर है। इसी मंदिर से अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया गया था। इसे आज नीली छतरी मंदिर के नाम से जाना जाता है, क्योकि यहां इसके पास एक नीली छतरी नौबत खान का मकबरा बना हुआ है। नौबत खान अकबर के दरबार में मनसबदार हुआ करते थे।
दुधेश्वर नाथ मंदिर
इस मंदिर का इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि रावण के पिता विश्रवा ने यहां पर कठोर तपस्या की थी। यह मंदिर दिल्ली एनसीआर से सटे गाजियाबाद में है। ऐसी मान्यता है कि दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगातार शिवजी के दर्शन करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती हैं। यह मंदिर हिंडन नदी के तट पर स्थित है, जिसमें शिवलिंग जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित है। लंकापति रावण ने भी इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी। इस मंदिर की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है।
शिव मंदिर गुफा वाला
दिल्ली के प्रीत विहार इलाके में शिव मंदिर गुफा वाला स्थित है। इस मंदिर में शिव के साथ-साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन होते हैं। यह मंदिर अपनी गुफा जैसी संरचना के लिए प्रसिद्ध है। जानकारी के अनुसार, मंदिर में एक गुफा है, जिसके अंदर लोगों को 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं। सावन के महीने में यहां पर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। यह मंदिर प्रीत विहार मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है।
मंगला महादेव बिरला कानन मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 90 के दशक में किया गया था। इसके मंदिर के अंदर शिव भगवान की प्रतिमा 11 फीट ऊंची विराजमान है। यहां पर शिव के अलावा अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं। इस मंदिर के परिसर में रंग-बिरंगे फूलों से सजा एक बाग भी है। यह मंदिर दिल्ली से सटे गुरुग्राम एनएच 8 के निकट स्थित है।