छत्तीसगढ़ में नकली एंटीबायोटिक दवाएं: इंदौर से आई खेप, लेने कोई नहीं पहुंचा
छत्तीसगढ़ में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने गोगांव में नकली दवा का काटून बरामद किया है, जिसमें एंटीबायोटिक दवा के नाम पर सफेद पावडर मिला है।
जब्त किए गए नकली दवाओं जखीरा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भी नकली दवाओं का कारोबार फल-फूल रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने गोगांव के ट्रांसपोर्ट में रखा नकली दवा का काटून बरामद किया है। एंटीबायोटिक दवा हिमाचल में बनी और इंदौर के रास्ते रायपुर पहुंची थी। बिल में उल्लेख दवा अलग थी और काटून में दूसरी दवा थी। जांच में दवा के नाम पर सफेद पावडर होने की पुष्टि हुई है। इसके तार ग्रामीण इलाकों के दवा कारोबारियों से जुड़े होने की उम्मीद है।
मिली जानकारी के अनुसार, गोगांव के नागपुर गोल्डन ट्रांसपोर्ट में काफी दिनों से दवा का काटून रखे होने की सूचना मिली थी। दवा का कोई दावेदार नहीं आ रहा था, इस आधार पर जानकारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन को दी गई थी। औषधि निरीक्षक नीरज साहू, ईश्वरी नारायण सिंह तथा राजेश सोनी की टीम ने वहां जाकर जांच की, तो पता चला कि दवा इंदौर से भेजी गई है।
बिल में अलग दवा का उल्लेख
काटून खोलने पर उसमें तीन तरह की एंटीबायोटिक दवा मिली। मगर चौंकने वाला मसला यह था कि, बिल में अलग दवा का उल्लेख था। संदेह के आधार पर दवा के सैंपल लेकर उसे जांच के लिए भेजा गया और काटून को जब्त कर लिया गया। रिपोर्ट में पता चला कि, एंटीबायोटिक दवा में जिस फार्मूला का उल्लेख है, वह वास्तव में उसमें है ही नहीं और टेबलेट सफेद पावडर के अलावा कुछ नहीं है। इस आधार पर एफडीए की टीम ने मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू की है।
नई दिल्ली और छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में अलर्ट जारी
इस मामले में यह पतासाजी का प्रयास किया जा रहा है कि दवा का आर्डर किस कारोबारी ने किया था। मामले में तार ग्रामीण इलाकों से जुड़े होने का संदेह है। प्रकरण की के दौरान इंदौर भी जाने की तैयारी है। इस दवा का मामला सामने आने पर खाद्य और औषधि प्रशासन, छत्तीसगढ़ द्वारा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन नई दिल्ली और छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में अधिकारियों को अलर्ट जारी कर दिया गया है। अवमानक औषधियों के परिवहन व बाजार में संभावित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किये गए हैं।
हिमाचल और चेन्नई से जुड़े तार
बरामद की गई दवा जी-सीईएप-एजेड की निर्माता हिमाचल के सोलन मेसर्स जी बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड है। दूसरी दवा क्यूमोक्स-सीडी-625 की निर्माता मेसर्स जीसी हेल्थ केयर तथा एआर आरसीईएप-एजेड के निर्माता चेन्नई के मेसर्स लार आक्स फार्मास्यूटिकल्स है। सभी दवा एंटीबायोटिक टेबलेट है जो बाजार में सामान्य तरीके से बिक्री की जा सकती है। करीब सात साल पहले राजधानी में ऐसी ही नकली एंटीबायोटिक दवा की खेप पकड़ी गई थी, जिसका मामला न्यायालय में लंबित है।
निर्माण सौ, बिक्री 300 रुपए में
सूत्रों के अनुसार, इन दवाओं को बनाने की लागत मुश्किल से सौ रुपए आती है और रिटेलर के माध्यम से बिक्री तीन सौ रुपये में की जाती है। एंटीबायोटिक की दवाएं सामान्यतः महंगी होती हैं। शहरी इलाकों में ज्यादातर ब्रांडेड दवाओं की डिमांड होती है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी दवाओं को आसानी से खपाया जा सकता है। कुछ समय पहले नकली दवा का कारोबार करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश देश में हुआ था।