'विश्व मृदा दिवस' पर उद्यानिकी महाविद्यालय में आयोजन: मिट्टी संरक्षण पर छात्रों को किया जागरूक, बताया जैविक खेती है समाधान

उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कोतबा में विश्व मृदा दिवस-2025 उत्साहपूर्वक मनाया गया। विशेषज्ञों ने प्राकृतिक व टिकाऊ खेती अपनाने पर जोर दिया।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-12-06 15:32:00 IST

उद्यानिकी महाविद्यालय में 'विश्व मृदा दिवस' आयोजन

मयंक शर्मा - कोतबा। जशपुर जिले के उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कोतबा में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस-2025 का आयोजन उत्साहपूर्वक किया गया। इस वर्ष की थीम- 'स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मृदा' ने कार्यक्रम को पर्यावरण, स्वास्थ्य और कृषि के बीच गहरे संबंधों पर केंद्रित किया।

रासायनिक खेती के खतरे, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं अधिष्ठाता अरबिन्द कुमार साय ने संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक कृषि में रासायनिक खादों, कीटनाशकों और एकल फसल प्रणाली का अंधाधुंध उपयोग मृदा को भारी रूप से नुकसान पहुँचा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा 'आज अत्यधिक उत्पादन की होड़ में किसान मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति को खत्म कर रहे हैं। यही रसायन भोजन के माध्यम से शरीर में पहुँचकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहे हैं।'

जैविक, टिकाऊ एवं प्राकृतिक खेती को बताया समाधान
अधिष्ठाता साय ने सुझाव दिया कि-

  • जैविक खेती
  • प्राकृतिक खेती
  • टिकाऊ खेती
  • और फसल चक्र (Crop Rotation)

मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने मिट्टी को 'जीवन का आधार' बताते हुए कहा कि आने वाले समय में कृषि तभी सुरक्षित रह सकती है, जब मृदा को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएँ।

विशेषज्ञों ने जताई मिट्टी क्षरण की चिंता
इस अवसर पर इन विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए-

  • डॉ. अभिलाष मिश्रा
  • डॉ. मुकेश खरसन
  • डॉ. जय किशन भगत
  • डॉ. ग्लोरिया स्मिता किस्पोट्टा
  • श्री परमेश्वर यादव

उन्होंने जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित मानव गतिविधियों और रासायनिक उर्वरकों के कारण बढ़ते मृदा क्षरण को गंभीर चिंता का विषय बताया। विशेषज्ञों ने कहा कि जैविक खेती अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता बन चुकी है।

छात्रों से ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ में शामिल होने की अपील
कार्यक्रम के समापन पर अधिष्ठाता साय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “आप युवा ही भविष्य के संरक्षक हैं। पौधारोपण, अपशिष्ट प्रबंधन और जैविक खेती को अपनाकर मिट्टी संरक्षण को एक मिशन की तरह आगे बढ़ाएँ।” उन्होंने छात्रों से “मिट्टी बचाओ आंदोलन” में सक्रिय रूप से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह भी किया।

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