सीएजी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: पांच साल तक साइकिल- मशीन नहीं बांटी, श्रमिकों की सेहत की भी फिक्र नहीं की
राज्य के गरीबों, श्रमिकों के लिए योजनाएं बनाए और राशि का प्रावधान करने के बाद भी पांच साल तक उस पर कोई राशि या कहें एक धेला भी खर्च न करे।
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रायपुर। क्या किसी लोक कल्याणकारी राज्य सरकार से ये उम्मीद की जा सकती है कि वह अपने राज्य के गरीबों, श्रमिकों के लिए योजनाएं बनाए और राशि का प्रावधान करने के बाद भी पांच साल तक उस पर कोई राशि या कहें एक धेला भी खर्च न करे। निश्चित ही ये उम्मीद भले ही कोई न करे, लेकिन छत्तीसगढ़ में 2018 से 2022-23 के बीच मौजूदा राज्य सरकार ने यही किया है। यह तथ्य सीएजी की रिपोर्ट से सामने आया है।
यही नहीं, सीएजी ने सिफारिश भी की है कि, इन मामलों में दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। सीएजी की 31 मार्च 2023 को समाप्त वर्ष के लिए निष्पादन एवं अनुपालन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन में असंगठित क्षेत्रों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की लेखा परीक्षा प्रतिवेदन में विस्तार से बताया गया है कि दरअसल तत्कालीन राज्य सरकार ने गरीब मजदूरों के लिए बनाई योजनाओं की क्या हश्र किया है।
78 प्रतिशत श्रमिकों का पोर्टल में पंजीयन तक नहीं
असंगठित क्षेत्र में, छत्तीसगढ़ राज्य के 76.33 लाख श्रमिकों को भारत सरकार के ई-श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत किया गया था, जिसमें से केवल 16.62 लाख (22 प्रतिशत) श्रमिकों को छत्तीसगढ़ श्रम पोर्टल के तहत पंजीकृत किया गया था। यानी 78 प्रतिशत श्रमिकों का पंजीयन ही नहीं किया गया। जबकि संगठित क्षेत्र में 8 लाख के लक्ष्य के विरुद्ध केवल 2.05 लाख (26 प्रतिशत) श्रमिकों को लेखापरीक्षा अवधि के दौरान पंजीकृत किया गया था।
करोड़ों रुपयों की योजनाओं पर रकम नहीं की खर्च
रिपोर्ट में बताया गया है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल को आवंटित र 329.41 करोड़ में से 210.75 करोड़ रुपए यानी (64 प्रतिशत) का व्यय किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल द्वारा र 44.86 करोड़ की उपलब्ध निधि में से केवल र 21.27 करोड़ व्यय किया गया।
योजनाएं प्रभावी तरीके से लागू नहीं की
सीएजी की रिपोर्ट में राज्य सरकार की इस विफलता के लिए कहा गया है कि यह इंगित करता है कि सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों, जो योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है, प्रभावी ढंग से लागू नहीं की गई।
पांच साल में इन योजनाओं पर धेला खर्च नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक यह देखा गया कि विवाह सहायता, सायकल वितरण, सिलाई मशीन, औजार, उपकरण, आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लगातार व्यय नहीं किया गया था, जबकि असंगठित और संगठित क्षेत्र के कुल 50 योजनाओं में से 10 (स्मार्ट वेडिंग कार्ट के लिए सहायता, ई-टेला सहायता योजना, सफाई कर्मकार हेतु ओपीडी उपचार, ठेका मजदूर और हमाल कामगार हेतु ओपीडी उपचार, मुख्यमंत्री सायकल रिक्शा, निःशुल्क बैसाखी, कॅलिपर्स, श्रवण यन्त्र वितरण, निःशुल्क सायकल वितरण, स्वास्थ्य एवं नेत्र परीक्षण शिविर तथा निःशुल्क चश्मा वितरण, कर्मकारों हेतु आकस्मिक मृत्यु सहायता और कर्मकारों हेतु खेल प्रतियोगिताएं) में वर्ष 2018-19 से 2022-23 की अवधि के दौरान कोई व्यय नहीं किया गया था।
छह साल तक श्रमिकों को सायकिल नहीं बांट पाए
इन योजनाओं के अलावा 17 अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के हाल का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 17 योजनाओं में. वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान केवल 12.42 लाख श्रमिकों को लाभान्वित किया गया, जो विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों के कवरेज में कमी को इंगित करता है। साइकिल वितरण योजना के लिए सायकलों के क्रय में अनियमितताएं पाई गई क्योकि रायपुर जिले में 695 साइकिले श्रमिकों को छः वर्षों तक अवितरित रही। कमियां जैसे ई-रिक्शा के क्रय के लिए वित्तीय सहायता जारी करने में विलंब, साइकिल वितरण योजनाओं के लिए खरीदी गई साइकिल का वितरण न करना, सफाई कर्मकार को प्रत्येक वर्ष आवश्यक उपकरण और सुरक्षात्मक गियर उपलब्ध न कराना एवं शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना में विभिन्न केंद्रों पर नियमित रूप से भोजन का वितरण नहीं किया जाना पाई गई।