नक्सल मोर्चे पर बड़ी हलचल: 1 जनवरी को एक साथ बड़ी संख्या में समर्पण करेंगे MMC जोन के नक्सली
बीजापुर जिले में MMC जोन के नक्सलियों ने 1 जनवरी से संघर्ष विराम की घोषणा के संकेत दिए। प्रवक्ता अनंत ने प्रेस नोट जारी कर सामूहिक निर्णय और बातचीत की बात कही।
बड़ी संख्या में नक्सलियों का आत्मसमर्पण
गणेश मिश्रा- बीजापुर। नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से एक अहम खबर सामने आई है। जहां माओवादी संगठन के MMC जोन ने हथियारबंद गतिविधियों को रोकने के संकेत दिए हैं। MMC जोन के प्रवक्ता अनंत ने प्रेस नोट और एक ऑडियो जारी कर 1 जनवरी से संघर्ष विराम (सीज़फायर) लागू करने की बात कही है। यह घोषणा क्षेत्रीय सुरक्षा परिस्थितियों में बड़ा बदलाव ला सकती है।
प्रवक्ता अनंत ने संगठन के सभी नक्सलियों से अपील की है कि, वे अलग-अलग नहीं बल्कि एक साथ निर्णय लेते हुए हथियारबंद संघर्ष से बाहर आएं। उन्होंने कहा कि, वे सरकार की 'पूना मार्गेम' पहल को स्वीकार करेंगे। लेकिन इसे समर्पण नहीं बल्कि सामूहिक निर्णय माना जाएगा।
हथियार केवल साधन हैं, साध्य नहीं- नक्सली प्रवक्ता
नक्सली प्रवक्ता ने आपसी संपर्क और समन्वय के लिए बाउपेंग का एक खुला फ्रीक्वेंसी नंबर भी जारी किया है। साथ ही कहा कि, वे उस सरकार के साथ जाएंगे, जो उन्हें ज्यादा ध्यान देगी। प्रवक्ता अनंत ने स्पष्ट किया कि, हथियार छोड़ना जनता के साथ धोखा या गद्दारी नहीं है। उनके अनुसार, वर्तमान परिस्थितियों में संघर्ष जारी रखना उचित नहीं है, क्योंकि हथियार केवल साधन हैं, साध्य नहीं।
खैरागढ़ में नक्सल दंपती का सरेंडर
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में बुधवार को 20 लाख रुपये के संयुक्त ईनामी नक्सली दम्पति ने हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लेते हुए पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया। छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 तथा शासन के विकासोन्मुखी प्रयासों से प्रभावित होकर 14 लाख रुपये का इनामी हार्डकोर नक्सली धनुष उर्फ मुन्ना (आयु 25 वर्ष) एवं उसकी पत्नी 06 लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली रोनी उर्फ तुले (आयु 25 वर्ष) ने आत्मसमर्पण किया। प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के माड़ डिवीजन, बस्तर, एमएमसी (मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ जोन) से संबंधित कैडर, टाण्डा मलाजखण्ड एरिया में सक्रिय रहे है। और विभिन्न नक्सली वारदातों में शामिल रहे है।
कई डिवीजनों में किया काम
दोनों प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के माड़ डिवीजन, बस्तर, एमएमसी (मध्य प्रदेश महाराष्ट्र छत्तीसगढ़) जोन से संबंधित कैडर थे। यह दम्पति टाण्डा-मलाजखण्ड एरिया कमेटी के प्रभाव क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों, विभिन्न वारदातों और संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न रहा। रोनी, माओवादी एमएमसी जोन प्रभारी रामदेर (सीसी मेम्बर) की पार्टी सदस्य के रूप में कार्यरत थी। धनुष (एसीएम) को हिन्दी-अंग्रेजी टाइपिंग एवं कंप्यूटर संचालन का विशेष ज्ञान है, जिसके कारण वह संगठन में तकनीकी टाइपिंग कार्यों को संभालता था दोनों छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गोंदिया) एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय रूप से संचालित नक्सली गतिविधियों में शामिल थे।
शासन की नीति और सुरक्षा बलों के प्रयासों का परिणाम
सुरक्षा बलों के निरंतर अभियान, ग्रामीण अंचलों में चलाए जा रहे विकास कार्यों, सड़क और परिवहन सुविधाओं के विस्तार, पानी-बिजली-नेटवर्क की उपलब्धता, तथा शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से ग्रामीणों में बढ़ते विश्वास और सामुदायिक पुलिसिंग के तहत जनसंपर्क व संवाद कार्यक्रमों का यह प्रत्यक्ष परिणाम है। इन प्रयासों से प्रेरित होकर नक्सली दंपति ने हथियार छोड़कर शांति का रास्ता चुना है और दोनों ने आत्मसमर्पण किया।
शांति और विकास की ओर कदम
छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति, सुरक्षा बलों की प्रभावी रणनीति, विकास कार्यों और सामुदायिक पुलिसिंग के परिणामस्वरूप नक्सली दम्पति ने हिंसा का मार्ग त्यागते हुए समाज में सम्मानपूर्वक जीवनयापन करने की मंशा से आत्मसमर्पण किया है। यह कदम इस क्षेत्र में शांति स्थापना और नक्सल उन्मूलन अभियान के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है।