मंगल पर हैं पानी से बने बर्फ के ग्लेशियरः रिपोर्ट
वैज्ञानिकों ने कहा है कि मंगल पर 150 अरब घन मीटर से अधिक बर्फ के ग्लेशियर हैं। लाल ग्रह की पूरी सतह को बर्फ की एक मीटर से अधिक मोटी परत से ढंकने पर्याप्त है।;

लंदन. वैज्ञानिकों ने कहा है कि मंगल पर 150 अरब घन मीटर से अधिक बर्फ के ग्लेशियर हैं जो इस लाल ग्रह की पूरी सतह को बर्फ की एक मीटर से अधिक मोटी परत से ढंकने पर्याप्त है। ग्लेशियरों को धूल की एक मोटी परत ढंके हुए है जिससे वे वहां की जमीन की ही सतह नजर आते हैं लेकिन रडार मापन से यह पता चलता है कि धूल के नीचे बर्फ के रूप में ग्लेशियर हैं।
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लंबे समय से वैज्ञानिक नहीं जानते हैं कि यह बर्फ पानी के जमने से (एच 2ओ) बनी है या कार्बन डाइआॅक्साइड (सीओ 2) है या क्या यह मिट्टी है। नासा के उपग्रह और ‘मार्स रीकानिसन्स आर्बिटर’ के रडार मापन का उपयोग कर और बर्फ के प्रवाह से उन्हें जोड़कर देखने के बाद शोधकर्ता यह निर्धारित करने में सक्षम हुए कि यह पानी से बना बर्फ है।
ऐसी जगहों से ट्यूमर निकालने और सर्जरी करने के लिए डॉक्टर अब पांच मिमी पतले रोबोटिक हाथों का इस्तेमाल कर रहे हैं जहां उनके अपने हाथ नहीं पहुुंच पाते। अमेरिका से आयातित अत्याधुनिक ‘दा विंची सर्जिकल सिस्टम’ कलाई युक्त एक विशेष यंत्र है जो किसी मरीज के आॅपरेशन करते समय शल्य चिकित्सक के हाथ की गतिविधियों के अनुसार काम कर सकता है। मरीज से दूर शल्य चिकित्सक एक कक्ष में बैठता है जहां से वह एक उन्नत त्रिआयामी दृष्टि प्रणाली के जरिए सब कुछ देख सकता है। अपोलो अस्पताल के डा. शांतनु पंजा ने अभी हाल ही में 59 साल के एक व्यक्ति का आपरेशन किया था जिसके जीभ की जड़ में कैंसर युक्त ट्यूमर था।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, ग्लेशियर बर्फ का विशाल टुकड़ा -
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