जानिए इस श्राद्ध पर क्या होगा खास, बुधवार के दिन कैसे करें श्राद्ध
सोमवार, मंगलवार बुधवार का दिन तर्पण के लिए विशेष है। खासकर जिन्हें अपने पितरों के श्राद्ध के तिथि की जानकारी नहीं है।;

बुधवार का दिन भी श्रेष्ठ कहा गया है। पंडित शास्त्री जी बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का महत्व है। आश्विन मास की अमावस्या पितरों की शांति का सबसे अच्छा मुहूर्त है। यह बुधवार को होगी। जिन लोगों ने अपने पूर्वजों का तीन वर्ष तक श्राद्ध किया हो, उनके पितर, पितृ योनि से वापस प्रेत योनि में जाते हैं। इसीलिए उनकी शांति के लिए तीर्थ स्थान में सपिंड श्राद्ध किया जाता है।
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इस दिन मां पक्ष की ओर से यानी नाना-नानी, मामा मामी का श्राद्ध किया जा सकता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है ऐसे व्यक्ति यदि प्रतिदिन गाय, कौआ, कुत्ता, अग्नि, पीपल आदि की मन, वचन क्रम से सेवा करें जैसे- गाय को चारा भोजन, कौए को रोटी, कुत्ते को दूध, अग्नि को मीठा, पीपल पर कच्चा दूध तिल युक्त चढ़ाएं। इससे श्राद्ध फलदायी रहेंगे और सभी दोष दूर होंगे। इनतीनों विशेष दिनों में दक्षिण की ओर मुंह करके कर्म करें। बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थ शुद्ध शाकाहारी भोजन, गंगा, तिल, शहद और घी से बने पदार्थ हों। भोजन में लाल बैंगनी फूल, केवड़ा, बेल पत्र, उड़द, मसूर, अरहर, लौकी, बैंगन, शलगम, प्याज, लहसुन इत्यादि का प्रयोग करें।
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