3rd Bada Mangal 2025: आज है ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल, जानें पूजा विधि, महत्व और उपाय

आज 27 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल है। आज विशेष रूप से व्यवसाय, नौकरी और धन वृद्धि के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। चलिए जानते है आज 2025 में पड़ रहे तीसरे बड़े मंगल का महत्व और उपाय।

Updated On 2025-05-27 07:33:00 IST

Teesra Bada Mangal 2025 : आज 27 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल है। बड़ा मंगल को 'शबड़ा मंगल' और 'बुढ़वा मंगल' के नाम से भी जाना जाता है। बड़े मंगल की शुरुआत 2025 में 13 मई से हुई थी और 10 जून पर खत्म होगी। बड़ा मंगल विशेष रूप से उत्तर भारत के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, और दिल्ली शहरों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बजरंग बली और भगवान श्री राम की पूजा करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। चलिए जानते है आज 2025 में पड़ रहे तीसरे बड़े मंगल का महत्व और उपाय।

बड़ा मंगल का महत्व -

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में ज्येष्ठ माह के मंगलवार को भक्त शिरोमणि बजरंग बली ने पहली बार भगवान श्री राम से भेंट की थी। यही कारण है कि, इस दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन हनुमान जी के वृद्ध स्वरुप की पूजा करने का विधान है, इसलिए इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। कहा जाता है कि, हनुमान जी के वृद्ध स्वरुप की पूजा करने से साधक के जीवन में चल रही बड़ी से बड़ी परेशानी भी शीघ्र ही समाप्त हो जाती है।

बड़ा मंगल पूजा विधि -

बड़ा मंगल के दिन हनुमान चालीसा का 21 या 108 बार पाठ करना चाहिए। साथ ही सुंदरकांड का पाठ करना भी शुभ रहता है। पूजा के दौरान हनुमान जी को सिंदूर, लड्डु, केला, और चमेली के तेल से अभिषेक करें। इसके पश्चात अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

तीसरा बड़ा मंगल – 27 मई 2025

महत्व और उपाय - आज 27 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल है। आज विशेष रूप से व्यवसाय, नौकरी और धन वृद्धि के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि, आज 'राम काज' की सिद्धि देने में बजरंग बली सबसे कृपालु होते है। हनुमान जी विशेष कृपा पाने के लिए आज बजरंग बली को बेसन के लड्डू और गुड़ का भोग लगाएं। साथ ही सुंदरकांड और हनुमान अष्टक का पाठ करें। वहीं, जानवरों-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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