Shani Pradosh Vrat: आज शनि प्रदोष व्रत पर करें ये अचूक उपाय, साढ़ेसाती-ढैय्या का कष्ट होगा कम
ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 24 मई, 2025 शनिवार को रखा जा रहा है। अगर आप शनि साढ़ेसाती-ढैय्या से पीड़ित है तो रुद्राष्टकम का पाठ करने से पीड़ा कम होगी। इन जातकों को शनि प्रदोष व्रत वाले दिन भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करना होगा।
Rudrashtakam aur Shani Ke Upay : सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कुल 2 प्रदोष व्रत आते है, इनमें एक कृष्ण पक्ष तो दूसरा शुक्ल पक्ष में होता है। इस तरह सालभर में कुल 24 प्रदोष व्रत आते हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने का विधान है। कहते हैं, जो भी व्यक्ति विधि-विधान के साथ प्रदोष व्रत पूर्ण करता है, उस पर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है। अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इसका पहला प्रदोष व्रत 24 मई, 2025 शनिवार को रखा जा रहा है। अगर आप शनि साढ़ेसाती-ढैय्या से पीड़ित है तो नीचे दिए गए उपाय इस दिन कर सकते है।
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, अभी मेष, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पबाहव चल रहा है। वहीं, सिंह और धनु राशि पर ढैय्या का प्रभाव बना हुआ है। ऐसे में इन जातकों को शनि प्रदोष व्रत वाले दिन भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करना होगा। साथ ही रुद्राष्टकम का पाठ करने से पीड़ा कम होगी।
श्री रुद्राष्टकम पाठ -
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।