Sawan 2025: सावन समाप्ति से पहले करें ये उपाय, भोलेनाथ की बरसेगी विशेष कृपा

Sawan 2025: सावन 2025 की समाप्ति 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगी। जानिए शिव पूजा के खास उपाय, महत्व और इस पवित्र माह में मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ।

Updated On 2025-08-01 20:50:00 IST

Sawan 2025: हिंदू धर्म में सावन का महीना अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का शुभ समय माना जाता है। मान्यता है कि इसी माह में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। सावन का आरंभ इस वर्ष 11 जुलाई 2025 से हुआ और यह 9 अगस्त तक चलेगा। इस दिन रक्षा बंधन के साथ सावन पूर्णिमा भी पड़ती है, जिसे श्रावण पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम जी महाराज के अनुसार अगर आप सावन समाप्ति से पहले इन उपायों को करते हैं तो भोलेनाथ की आपके ऊपर विशेष कृपा बरसेगी।

सावन 2025 समाप्ति

सावन माह 2025 की समाप्ति 9 अगस्त को होगी। सावन के अंतिम दिन श्रावण पूर्णिमा आती है, जो इस पवित्र माह का समापन करती है। यदि पूरे महीने भगवान शिव को जलाभिषेक करने का अवसर न मिला हो, तो इस दिन जलाभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

सावन में शिव पूजा के विशेष उपाय

सावन के दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना में कुछ खास वस्तुओं और उपायों का विशेष महत्व होता है। इन उपायों को अपनाकर भक्त अपनी भक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करते हैं।

जलाभिषेक: शिव जी को जल, दूध, दही, शहद, घी, और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। यह माना जाता है कि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

पवित्र सामग्री: बेलपत्र, धतूरा और भांग भी शिव पूजा में अर्पित किए जाते हैं।

वस्त्र धारण: पूजा के दौरान पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्” जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।

कपूर का प्रयोग: घर में कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण पवित्र बनता है।

दान-पुण्य: इस पवित्र माह में पीले कपड़े, धार्मिक पुस्तकें और अन्न-धन का दान करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

सावन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

सावन माह को समर्पित श्रावण मास में शिव जी की पूजा से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि इससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की भी वृद्धि होती है। इस पावन समय में भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा से भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं और अपने कष्टों का निवारण करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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