क्यों पहनाए जाते हैं भगवान को सोने के आभूषण, क्या है इसका धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में जब किसी देवी या देवता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, तब उन्हें तरह तरह के सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है। भगवान को सोने चांदी की आभूषणों से सजाने के पीछे सांस्कृतिक मान्यताएं हैं।

By :  Desk
Updated On 2024-02-04 23:56:00 IST
Bhagwan ko Kyon Pehnaye Jate Hain Sone ke Abhushan

(रुचि राजपूत)

Bhagwan ko Kyon Pehnaye Jate Hain Sone ke Abhushan: हिन्दू धर्म में देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा करते समय उन्हें सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि भगवान की प्रतिमा ख़ूबसूरत लगे. देवी-देवताओं को सोने के आभूषणों से सजाने के पीछे सांस्कृतिक महत्व है. पौराणिक हिन्दू कथाओं में वर्णन मिलता है कि सोना देवी-देवताओं  को बेहद प्रिय है. ज़्यादातर जगहों पर भगवान की प्रतिमा को सोने के गहने किसी ख़ास अवसर पर पहनाये जाते हैं. जैसे किसी धार्मिक समारोह के अवसर पर, पूर्णिमा या फिर किसी पर्व आदि पर.धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाने तो सोने को प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. देवी देवताओं की मूर्ति को सोने के गहने पहनाने की परंपरा भारत वर्ष में सदियों पुरानी है. तो चलिए जानते हैं कि आख़िर क्यों देवी देवताओं की प्रतिमा को सोने के गहने पहनाये जाते है।

भगवान की प्रतिमा को सोने के आभूषण पहनाने का धार्मिक महत्व

-देवी देवताओं की प्रतिमा को सोने के आभूषण सौंदर्य और चमक देते हैं। सोने के आभूषण पहनाकर भगवान की मूर्ति आकर्षक बनाई जाती है। ताकि भगवान के भक्त अपने आराध्य देव को मनमोहक रूप में देख सके।

-सोने के आभूषण दिखने में बेहद चमकीले और ख़ूबसूरत होते हैं। इसलिए देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा के समय सोने के आभूषण उन्हें पहनाए जाते हैं, ताकि भक्तगण अपने आराध्य देव को उनके मूल स्वरुप में देख सकें और उनके ह्रदय में भगवान के लिए अपार श्रद्धा और प्रेम आ सके।

- सोने के आभूषणों को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है, इसलिए सोने के आभूषणों का पूजा-पाठ में उपयोग किया जाता है। कई प्रसिद्द मंदिरों में तो देवी-देवताओं की मूर्तियां भी सोने की बनी होती हैं।

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