वैश्विक नायक हैं श्रीराम, जानिए क्यों कहा जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम

Shree ram: भगवान श्रीराम को अगर भारत का ही नहीं वैश्विक नायक माना जाता है तो इसके पीछे कई वजहें हैं। उनके व्यक्तित्व और व्यवहार में अनेक ऐसे गुण विद्यमान हैं, जो निर्विवाद रूप से संपूर्ण मनुष्यता के लिए आदर्श और अनुकरणीय हैं।

Updated On 2024-01-24 12:59:00 IST
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।

Shri Ram is a global hero: दुनिया के 182 देशों में भगवान राम को पूजा जाता है। मॉरिशस, नेपाल, लाओस, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया और इंडोनेशिया में तो श्रीराम राष्ट्रीय आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं, भले इनमें से कई देशों में हिंदू धर्म की बहुलता नहीं है। दुनिया में कई सौ रामायणें हैं। नेपाल, इंडोनेशिया, जावा, इंडोचायना, बर्मा (म्यांमार) सबकी रामायणों में राम भारत के नहीं स्थानीय नायक माने जाते हैं। यही नहीं इन देशों में ऐसे कई चिन्ह, कई ऐसे प्रतीक भी मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि रामजी यहां रहे होंगे या यहां पहुंचे होंगे। बैंकॉक में रामायण चित्रों की विश्व में सबसे लंबी शृंखला है। राम जैसी वैश्विक व्याप्ति दुनिया के किसी और नायक की नहीं है। ऐसी वैश्विक श्रद्धा भी किसी दूसरे महापुरुष के प्रति नहीं है।
 
हर भूमिका में स्थापित किए आदर्श

आज तक धरती पर भगवान राम जैसा कोई दूसरा आदर्श पुरुष नहीं हुआ। किसी काल्पनिक आदर्श पुरुष में जितने आदर्श गुण हो सकते हैं, भगवान राम में वे सभी गुण समाहित हैं। वे अपने साहस, निष्ठा और समर्पण के लिए जाने जाते हैं। उन्हें धार्मिकता, भक्ति और त्याग का अवतार माना जाता है। उन्हें धर्म यानी व्यवस्था के पालन के लिए जाना जाता है। उन्होंने एक राजा, एक भाई, एक पति, एक पुत्र और एक इंसान के रूप में धरती का सर्वश्रेष्ठ आदर्श स्थापित किया। कितनी ही विपरीत से विपरीत स्थितियां पैदा हुई हों, राम ने कभी धर्म का मार्ग नहीं त्यागा, उसका हमेशा पालन किया। बड़ी से बड़ी विपरीत परिस्थितियों में भी वे अपने नैतिक सिद्धांतों से नहीं डिगे। भगवान राम का संत चरित्र उनकी कहानी और उनकी शिक्षाएं दुनिया के करोड़ों लोगों को प्रेरित करती हैं।
 
इसलिए माने जाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम

कुछ लोग उन्हें दिव्य प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजते हैं, तो कुछ उन्हें एक आदर्श इंसान मानते हैं और उन्हें ‘मर्यादा पुरूषोत्तम’ के रूप में चित्रित करते हैं अर्थात पूर्ण पुरुष। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ मर्यादाओं का पालन किया है। राम ने सभी रिश्तों को मान दिया, इसलिए उन्हें आदिपुरुष भी कहा जाता है। पूरी दुनिया इस पर सहमत है कि भगवान राम ने ही धरती में सभ्य समाज की स्थापना की है। उन्होंने अपने आचरण से दया, सत्य, सदाचार, मर्यादा, करुणा और धर्म के पालन का आदर्श उदाहरण पेश किया है। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कभी भी एक क्षण मात्र को भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। चाहे भूमिका एक राजकुमार की रही हो या एक भाई की, एक पति की रही हो या एक पुत्र की, एक सामान्य मनुष्य की रही हो या एक शासक की। राम ने हमेशा धर्म के मार्ग का अनुसरण किया।

धर्माचरण से सदैव रहे अडिग
वे हमेशा उस बात के लिए खड़े रहे, जो न्यायसंगत और धर्मानुकूल थी, चाहे उसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़ी हो। वे हमेशा समाज के वंचित लोगों के साथ खड़े रहे। सहनशीलता और धैर्य जैसे गुण तो उनमें पराकाष्ठा की सीमा तक दिखते हैं। वे कभी किसी की निंदा नहीं करते। वे हमेशा कृतज्ञता, विनम्रता और अपनत्व से भरे रहते हैं। समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक दुनिया में 16 आदर्श गुणों को चिन्हित करते हैं और आश्चर्य नहीं कि ये सभी गुण दुनिया की जिस एकमात्र विभूति में मौजूद मिलते हैं, वे श्रीराम ही हैं।
 
हर समुदाय के प्रिय
दुनिया में कोई भी ऐसा राजनीतिक या वैचारिक समुदाय नहीं है, जिसने कभी राम का विरोध किया हो। रामजन्मभूमि के विरुद्ध मुकदमा लड़ने वाले पक्षकारों ने भी कभी राम की अवमानना नहीं की, उन्होंने भी उन्हें हमेशा इमामे हिंद माना है। राम किस तरह सर्वगुण संपन्न हैं, इसे राजा दशरथ की उन्हें लेकर की गई विवेचना से पता चलता है। वे राम को राजा बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने नगरवासियों की एक सभा बुलाई है, उसमें वह कहते हैं, ‘वह लक्ष्मण के भाई हैं, वह लक्ष्मीवान हैं, क्योंकि उनका विवाह लक्ष्मी की अवतार सीता से हुआ है। यदि राम राजा बनते हैं, तो तीनों लोक समृद्ध होंगे, क्योंकि वे इससे बेहतर शासक की अपेक्षा नहीं कर सकते।’ इसके बाद दशरथ उपस्थित लोगों से उनकी राय पूछते हैं। उनकी राय है कि राम अयोध्या के राजा बनने के लिए आदर्श विकल्प हैं। वह एक सत्पुरुष हैं, जिनमें उच्च मानवीय गुणों के प्रतिमूर्ति हैं। वे सत्यधर्मपरायण है, सदैव सत्य और धर्म के अनुयायी रहे। उनका स्वभाव क्षमाशील है, पृथ्वी की तरह जो बहुत सारे बोझ सहन कर भी कुछ नहीं कहती है। राम असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक हैं।’ 

आकर्षक व्यक्तित्व-अनुकरणीय गुण
भगवान राम का व्यक्तित्व भी अनुपम था। महर्षि वाल्मीकि ने उनके व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए लिखा है, ‘उनका चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य, कांतिवाला, कोमल और सुंदर था। उनकी आंखें बड़ी और कमल के समान थीं। उनकी नाक उन्नत और चेहरे के अनुरुप सुडौल थी। उनके होंठों का रंग उगते हुए सूर्य की तरह रक्ताभ था। वह विद्वान, बुद्धिमान और अच्छे वक्ता थे। संपूर्ण विद्याओं में पारंगत और वेदों के ज्ञाता थे। शस्त्र विद्या में वे अपने पिता से भी आगे थे। उनकी स्मरणशक्ति अद्भुत थी। कोई कितना भी प्रयास कर ले, उन्हें कभी क्रोध नहीं आता था।’ ये राम के आदर्श गुण ही हैं कि सदियों से हमारी संस्कृति के नायक हैं।
 
जन-जन के मन में बसे हैं राम

जब कोई दो अजनबी लोग भी मिलते हैं, वे एक-दूसरे से ‘राम-राम’ कहकर अभिवादन करते हैं। राम का नाम लेते ही उनके बीच से सारा अपरिचय दूर हो जाता है। लोग किसी अच्छे व्यक्ति की उसके गुणों की प्रशंसा करते हैं तो उसे राम जैसा कहते हैं। बड़े-बुजुर्ग अकसर कहते दिख जाते हैं, ‘बेटा हो तो राम जैसा, राजा हो तो राम जैसा, चरित्र हो तो राम जैसा।’ वास्तव में श्रीराम आदर्शों, उच्च मूल्यों और मानवीय गुणों के पूर्ण विराम हैं। वे जन-जन के मन में बसते हैं। इसीलिए राम भारत के ही नहीं, समूची धरती के आदर्श, समूची मनुष्यता के नायक हैं। 

लोकमित्र गौतम 

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