Skanda Sashti Vrat 2024: स्कंद षष्ठी पर बन रहा रवि योग, घर में बनी रहेगी सुख-समृध्दि; जानें व्रत का महत्व और पूजा विधि

Skanda Sashti Vrat 2024: प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान मुरुगन की पूजा अर्चना करने वालों को संतान सुख की प्राप्त होती है। 

Updated On 2024-07-10 14:56:00 IST
Skanda Sashti

Skanda Sashti Vrat 2024: प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। भगवान मुरुगन को समर्पित स्कंद षष्ठी हिंदुओं और खासकर तमिल हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। स्कद षष्ठी को संतान षष्ठी या कंडा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आषाढ़ मास की स्कंद षष्ठी 11 जुलाई को है साथ ही इस बार कई सालों बाद रवि योग का संयोग बन रहा है। भगवान मुरुगन भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, जिन्हें स्कंद, कार्तिकेय, कार्तिक, सुब्रमण्यम आदि जैसे कई अन्य नामों से जाना जाता है।

कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि, मुरुगन का जन्म भगवान शिव की तीसरी आंख से निकली चिंगारी से हुआ था। इसलिए उन्हें शक्ति, बुद्धि और पराक्रम के स्वामी के रूप में जाना जाता है। भगवान मुरुगन को दक्षिण भारत में भगवान गणेश का छोटा भाई और उत्तर भारत में बड़ा भाई माना जाता है।

स्कंद षष्ठी का महत्व 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की उपासना करने से शत्रुओं का नाश होता है, साथ ही घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि ऐसे विवाहित जोड़े जिनकी कोई संतान नहीं है, वे इस दिन भगवान मुरुगन की पूजा अर्चना करते हैं तो उन्हें संतान सुख की प्राप्त होती है। 

शुभ मुहूर्त
स्कंद षष्ठी तिथि का आरंभ गुरुवार यानी 11 जुलाई 2024 की सुबह 10 बजकर 03 मिनट पर होगा। जबकि इसका समापन शुक्रवार 12 जुलाई 2024 की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगा। इस दौरान आप पूजा अर्चना कर सकते हैं।  

पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
चौकी लगांए और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। 
भगवान को चंदन, कुमकुम, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें और दीप प्रज्वलित करें। 
षष्ठी व्रत कथा पढ़ना न भूलें और आरती कर उनकी फोटो या प्रतिमा की तीन बार परिक्रमा करें। 
इस दिन ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दें। 
भगवान कार्तिकेय के “ॐ षडानन स्कन्दाय नमः” मंत्र का जाप कर न भूलें।

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