उपवास के दिन भूलकर भी न करें ये गलती, टूट सकता है फास्ट, क्या करें जब खंडित हो जाए आपका व्रत

Is Wajah Se Tut Sakta Hai Vrat : सनातन धर्म में व्रत रखने के बारे में विशेष रूप से बताया गया है। इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है।

By :  Desk
Updated On 2024-03-25 23:05:00 IST
fast

Is Wajah Se Tut Sakta Hai Vrat : संसार के समस्त धर्मों ने व्रत या उपवास को किसी न किसी रूप में अपनाया है। सनातन धर्म में प्रत्येक दिन या तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है, और उसी आधार पर व्रत भी किए जाते हैं व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है ताकि व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो सके। व्रत के न केवल धार्मिक महत्व होते है बल्कि इससे शारीरिक लाभ भी मिलते हैं प्रत्येक धर्म में उपवास रखने की अलग-अलग परंपरा होती है। हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि व्रत के जरिए व्यक्ति ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। ऐसे में आपको बताने जा रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित धर्मेंद्र दुबे कि किन कार्यों को करने से आपका उपवास खंडित हो सकता है ऐसे में इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

व्रत का महत्व
सनातन धर्म में उपवास का पालन धार्मिक आस्था, तपस्या और संयम का प्रतीक माना जाता है व्रत का अर्थ होता है किसी चीज का संकल्प लेकर व्रत का पालन करना। व्रत में तामसिक और गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। उपवास का अर्थ है पूर्णिमा, एकादशी सोमवार मंगलवार या किसी भी अन्य दिन देवी देवताओं को समर्पित किया जाता है। व्रत से हमारे आत्म बल और आत्म नियंत्रण तो बढ़ता ही है साथ ही शारीरिक लाभ भी मिलता है।

इन बातों का विशेष ध्यान रखें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपवास के दिन, दिन के समय सोना नहीं चाहिए इससे व्रत खंडित माना जाता है। साथ ही किसी की निंदा, चुगली, झूठ और बुराई आदि करने से व्रत खंडित हो जाता है, और साथ ही ऐसा माना जाता है कि बार-बार कुछ-न-कुछ खाने से भी व्रत खंडित हो सकता है। ऐसे में इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

उपवास टूटने पर करें यह काम
यदि किसी कारणवश आपका व्रत टूट गया है तो आप कुछ कार्यों को करके व्रत के अशुभ परिणाम से बच सकते हैं। कहा जाता है कि व्रत टूटने या भंग होने पर हवन करने से भगवान का क्रोध शांत किया जा सकता है और उनसे क्षमा मांगी जा सकती है। अगर जिस भी चीज को खाने से आपका व्रत खंडित हुआ है तो आप उस चीज का दान करें।

(रुचि राजपूत)

Similar News