क्यों जरूरी है नए घर में गृह प्रवेश की पूजा, कितने प्रकार की होती है वास्तु पूजा?

Grih Pravesh Puja : हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले ईश्वर को याद करना और उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करने का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है। इसी कड़ी में गृह प्रवेश की पूजा भी महत्वपूर्ण मानी गई है।

By :  Desk
Updated On 2024-02-25 15:16:00 IST
Grih Pravesh Puja

(रुचि राजपूत)
Grih Pravesh Puja:
देवी-देवताओं की पूजा हमारे द्वारा किये जाने वाले शुभ कार्यों को सफल बनाती है। चाहे विवाह हो, जन्मोत्सव हो, या फिर गृह प्रवेश। हिन्दू धर्म में लगभग हर शुभ कार्य पर देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। नए घर में शिफ्ट होने से पहले घर में पूजा करवाई जाती है। जिसे गृह प्रवेश की पूजा कहा जाता है । आज हम जानेंगे कि जब भी हमें नए घर में रहने के लिए जाना होता है, तो सबसे पहले गृह प्रवेश पूजा क्यों कराई जाती है। गृह प्रवेश पूजा कितने प्रकार की होती है और कब नहीं करना चाहिए आइए जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से। 

तीन प्रकार की होती हैं गृह प्रवेश पूजा
1. अपूर्व गृह प्रवेश पूजा - इस पूजा में जब पहली बार घर बनाकर उसमें प्रवेश लिया जाता है तो उस पूजा को अपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है। 

2. सपूर्व गृह प्रवेश पूजा - जब किसी कारण से अपने घर को छोड़कर दूसरे घर में जाते हैं या दूसरे शहर में जाते हैं फिर वहां से वापस लौट कर उसी घर में आते हैं तो उस समय की जाने वाली पूजा को सपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है।

3. द्वांधव गृह प्रवेश पूजा - जब किसी आपदा या किसी परेशानी के चलते कुछ समय के लिए रह रहे घर को छोड़कर दोबारा उसी घर में प्रवेश किया जाता है और जो पूजा कराई जाती है उसे द्वांधव गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है

वास्तु की शांति
जब गृह प्रवेश की पूजा की जाती है उस समय वास्तु शांति के लिए हवन कराया जाता है। इस पूजा में हवन कराने से घर में सुख शांति बनी रहती है। साथ ही ग्रहों के हानिकारक प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव से भी बचाव होता है। वास्तु शास्त्र की पूजा में वास्तु भगवान की पूजा के साथ साथ सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

वास्तु पूजा
इस पूजा में वास्तु देवता की पूजा की जाती है। यह पूजा सबसे पहले गृह प्रवेश करने के दौरान की जाती है। इसे घर के बाहर करने का विधान है। इसमें मुख्य द्वार पर तांबे का कलश नौ प्रकार का अनाज और एक सिक्का रखा जाता है। एक नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश‌ पर रखा जाता है। पूजा के बाद घर के दंपत्ति उस कलश को उठाकर घर के अंदर ले जाते हैं और हवन कुंड के पास उस कलश की स्थापना करते हैं।

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