October Ekadashi 2024: अक्टूबर में 2 होंगे एकादशी का व्रत, जानें शुभ तिथि और पारण मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो एकादशी की तिथि पड़ती है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि अक्टूबर माह में कौन-कौन एकादशी पड़ने वाली है और उसका पारण मुहूर्त क्या है।

Updated On 2024-09-28 11:48:00 IST
अक्टूबर एकादशी व्रत 2024

Ekadashi In October 2024 : वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में दो एकादशी का व्रत पड़ते हैं, जिसमें से एक एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है और दूसरी एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है। इसलिए अक्टूबर माह में भी दो एकादशी आएंगी। पंचांग के अनुसार, अक्टूबर माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि पापांकुशा एकादशी होगी और दूसरी एकादशी रमा एकादशी होगी।

पंचांग के अनुसार, पापांकुशा एकादशी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होगी और रमा एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होगी। तो आज इस खबर में जानेंगे कि पापांकुशा एकादशी और रमा एकादशी की शुभ तिथि क्या है और किस मुहूर्त में पारण होगा।

कब है अक्टूबर में एकादशी

वैदिक पंचांग के अनुसार, अक्टूबर माह में पहली पापांकुशा एकादशी 13 तारीख को हैं और दूसरी रमा एकादशी 28 अक्टूबर को है।

पापाकुंशा एकादशी की शुभ तिथि

पंचांग के अनुसार, पापाकुंशा एकादशी की शुरुआत 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, पारण की शुभ तिथि 14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर है।

रमा एकादशी की शुभ तिथि

रमा एकादशी 28 अक्टूबर को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को 7 बजकर 50 मिनट पर होगी। वहीं पारण का समय 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह के 8 बजकर 44 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में पारण किया जा सकता है।

एकादशी में किसकी होती है पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो व्रती व्रत रखती है वे रात्रि के समय जागरण भी करती हैं। उसके बाद ही अगले दिन पारण करती हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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