देशभर की अदालतों में इस साल और बढ़ेगा जजों का टोटा
अदालतों में जजों का और भी टोटा होने के आसार हैं।;

नई दिल्ली. देश में न्यायिक सुधार की जारी कवायद में देशभर में खाली पड़े करीब पांच हजार पदो को भरना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। खासकर उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर केंद्र सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इसके अलावा इसी साल भारी संख्या में जज सेवानिवृत्ति के मुहाने पर हैं, जिससे अदालतों में जजों का और भी टोटा होने के आसार हैं।
देश में न्यायायिक सुधार के प्रयासों में पहले यूपीए सरकार की कवायद को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को अंजाम तक पहुंचाया। इस आयोग की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जो अभी विचाराधीन है। ऐसे में पहले से ही जजों की कमी से जूझ रही अदालतों में नियुक्ति प्रक्रिया रुक जाने का खतरा मंडरा रहा है। जबकि जरूरी यह है कि देश में न्यायिक सुधार के लिए जजों की पर्याप्त संख्या में नियुक्तियां हों ताकि मामलों का निपटान की रफ्तार बढ़े।
निचली अदालतों से लेकर शीर्ष अदालतों में तैनात भारी संख्या में जज वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। और जजों की नियुक्ति की प्रणाली को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के 24 राज्यों 984 जजों के पद अनुमोदित हैं, जिनमें केवल 638 ही कार्यरत हैं जबकि 346 पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं। इस साल उच्च न्यायालयों के 125 और न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में न्याय की आस लगाए लोगों के लिए यह चिंता का विषय होगा कि यदि जजों की नियुक्तियां न की गई तो न्याय और आम आदमी के बीच दूरी और बढ़ जाएगी।
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