Magh Mela 2024: संगम नगरी प्रयागराज में भव्य माघ मेला, जानिए कब पड़ेंगे स्नान के शुभ मुहूर्त

Magh Mela 2024: माघ मेले में बहुत तरह के यज्ञ होते हैं। विभिन्न तरह की प्रार्थनाएं की जाती हैं और अनगिनत अनुष्ठान संपन्न होते हैं।

Updated On 2024-01-24 18:24:00 IST
Magh Mela 2024

Magh Mela 2024: तीर्थराज प्रयाग में बीती 15 जनवरी (मकर संक्रांति) से माघ मेला आरंभ हो चुका है। यह मेला आगामी 8 मार्च यानी महाशिवरात्रि तक देश-विदेश के लाखों लोगों की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उपस्थिति का केंद्र रहेगा। माघ मेले के दौरान प्रयाग में तकरीबन एक करोड़ लोग आएंगे। इनमें 7 से 9 लाख तक विदेशी होंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिनी कुंभ कहलाने वाले इस धार्मिक और सांस्कृतिक मेले का क्या महत्व है? माना जाता है कि मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि तक जितने दिन यह माघ मेला रहता है, वे दिन चार युगों-सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग के बराबर होते हैं। माघ मेले को धार्मिक और अनुष्ठानिक तिथियों के आईने में देखें तो यह ऐसा मेला होता है, जिसमें छह बड़े स्नान आयोजित होते हैं। जैसा हम जानते हैं, सनातन हिंदू संस्कृति में पवित्र स्नानों का बहुत महत्व है। इस मेले में पहला विशिष्ट स्नान मकर संक्रांति का होता है, दूसरा पौष पूर्णिमा का, तीसरा मौनी अमावस्या का, चौथा बसंत पंचमी, पांचवां माघ पूर्णिमा और छठा स्नान महाशिवरात्रि का होता है। माना जाता है कि माघ मेला ब्रह्मा जी द्वारा समूचे ब्रह्मांड के निर्माण का जश्न है। 

होते हैं कई आयोजन
माघ मेले में बहुत तरह के यज्ञ होते हैं। विभिन्न तरह की प्रार्थनाएं की जाती हैं और अनगिनत अनुष्ठान संपन्न होते हैं। यह ऐसा सांस्कृतिक आयोजन होता है, जहां साधु, संत, गृहस्थ, नगा सभी एक साथ अपनी धार्मिक आस्थाओं के अनुष्ठान संपन्न करते हैं।

कल्पवास की विशेष महत्ता
पूरे माघ मेले के दौरान लाखों साधक संगम के तट पर कुटिया बनाकर कल्पवास भी करते हैं। कल्पवास की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और इसके पीछे उद्देश्य इंसान की आत्म शुद्धि का होता है। कहते हैं संगम के तट पर एक महीने तक निवास करके वेदों का अध्ययन करने और ध्यान योग करने से इंसान की मनःस्थिति पूरी तरह से आध्यात्मिक रंग में रंग जाती है। धार्मिक मान्यता है कि एक कल्पवास प्रयागराज में रहकर तप और ध्यान करने वालों को 10,000 अश्वमेध यज्ञों के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है। यही वजह है कि हर साल यहां देश के कोने-कोने से लाखों लोग कल्पवास के लिए डेरा डालते हैं। इससे लोगों की चेतना पर गहरा असर पड़ता है। माना जाता है कि कल्पवास में ब्रह्मांड की सारी शक्तियों का प्रयाग के संगम तट पर चुंबकीय प्रभाव पड़ता है, जिससे तन-मन ऊर्जा से लबालब हो जाते हैं।

धीरज बसाक
 

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