एक्सपर्ट्स Tips: हीट वेव से बचने के लिए क्या करें और क्‍या नहीं? जानें

गर्मी के मौसम में धूप में ज्यादा लू लगने का रिस्क रहता है। लू लगने पर अगर तुरंत उपचार ना किया जाए तो पेशेंट की कंडीशन बिगड़ सकती है। इस बारे में आपके लिए बहुत जरूरी सलाह।

Updated On 2024-05-16 19:59:00 IST
Weather Update India: भारतीय मौमस विभाग ने रविवार को कोई राज्यों के लिए हीटवेव अलर्ट जारी किया।

Heat wave Tips: इन दिनों देश के कई राज्यों में हीट वेव यानी लू चल रही है। मौसम विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों में तापमान और भी बढ़ सकता है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना चाहिए, वरना तमाम बीमारियों और यहां तक कि डेथ का भी जोखिम हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 1998-2017 तक लू के कारण दुनियाभर में 1,66,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थीं। प्रदूषण, जंगलों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और अन्य कई कारणों से हीट वेव का खतरा लगातार बढ़ रहा है। हीट वेव की वजह से बुजुर्गों, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा रिस्क होता है।

क्या है हीट वेव : जब तापमान 40 डिग्री के पार कर जाता है और गर्म हवाएं चलने लग जाती हैं, तो इसको हीट वेव यानी लू कहते हैं। इतने तापमान में लगातार कई घंटों तक बाहर रहने से व्यक्ति लू की चपेट में आ सकता है। आमतौर पर 40 डिग्री से अधिक तापमान में तीन से चार घंटे लगातार रहने के बाद शरीर में हीट वेव का असर दिखना शुरू हो जाता है।

किडनी-हार्ट पर पड़ता है असर: अधिक गर्मी की वजह से पसीना ज्यादा निकलता है और शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है। अगर इस दौरान कोई व्यक्ति पानी नहीं पीता है तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इससे किडनी के फंक्शन पर असर पड़ने लग जाता है और किडनी फेल भी हो सकती है। इसी प्रकार हार्ट को भी जरुरत से ज्यादा काम करना पड़ता है, रक्त गाढ़ा हो जाता है और धमनियां कड़ी हो जाती हैं तो इससे हार्ट फेल्योर हो सकता है।

लू लगने के लक्षण : हीट वेव यानी लू की चपेट में आने से अचानक तेज सिर दर्द होना, पसीना बहुत ज्यादा आना या बिल्कुल न आना, चक्कर आना, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द आदि लक्षण दिखाई देते हैं। अगर इन लक्षणों के दिखने पर मरीज को तुरंत संभाला न जाए और समय पर इलाज न हो तो लू मौत का कारण भी बन सकती है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। गर्मी बढ़ने पर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर मेंटेन रखता है। जब बाहर का टेंपरेचर सामान्य से बढ़ जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर पहुंचने लगता है। कुछ समय बाद रक्त गरम होने लगता है। ब्लडप्रेशर लो हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति कोमा में जा सकता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं और उसकी मृत्यु हो सकती है।

क्या करें : गर्मी के मौसम में सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच बाहर निकलने की बजाय घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें। लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए, कम से कम 3-4 लीटर पानी जरूर पिएं। किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोग प्रतिदिन कम से कम अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर और अधिक पानी पिएं। जहां तक संभव हो, ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। ठंडे पानी से नहाएं। इन दिनों नॉनवेज ना खाएं या कम से कम खाएं। फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें। कूलर के उपयोग से कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
 (जनरल फिजिशियन डॉ. विकास अग्रवाल से बातचीत पर आधारित)

शिखर चंद जैन

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