आज जो बोएंगे, रिटायरमेंट के बाद वही काटेंगे- जानिए सुखी रिटायर्मेंट के टिप्स

हर महीने अपनी आमदनी का कम से कम दस फीसदी हिस्सा रिटायरमेंट फंड में निवेश करें।;

Update:2015-03-08 00:00 IST
आज जो बोएंगे, रिटायरमेंट के बाद वही काटेंगे- जानिए सुखी रिटायर्मेंट के टिप्स
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नई दिल्ली. इंसान दो वजहों से कमाता है। वर्तमान को खुशहाल और भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए। रिटायरमेंट प्लानिंग भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए अनिवार्य है क्योंकि बुढ़ापा एक ऐसा सच है जिसका सामना हर इंसान को करना ही पड़ता है। इसलिए बेहतर है कि जितनी जल्दी हो सके, रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। आज हम आपको एक ऐसा सुनहरा सूत्र बताएंगे जिसके जरिए आप रिटायरमेंट के बाद एक समृद्ध और सम्मानपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
 
बजट 2015 के बाद शेयर में निवेश के मौके
 
हर महीने अपनी आमदनी का कम से कम दस फीसदी हिस्सा रिटायरमेंट फंड में निवेश करें। इस फंड के विकल्पों की चर्चा हम इसी लेख में आगे करेंगे। यह रकम देखने में छोटी लगती है, लेकिन इसे कम करके मत आंके। जरा सोचिए, अगर आपका करियर 35 साल का है, तो कुल 420 महीने हुए। अगर आपने लगातार इतने महीनों तक अपनी कमाई का दस फीसदी भी निवेश किया और उस पर 8-10 फीसदी ब्याज भी मिलता रहा, तो रिटायरमेंट के वक्त आपके पास एक अच्छी रकम जमा हो जाएगी। जो लोग नियमित नौकरी में हैं, उन्हें अलग से यह निवेश करने की जरूरत नहीं है। ईपीएफ के जरिए हर कर्मचारी को भविष्यनिधि में निवेश करना ही होता है। इसमें जितनी रकम आप जमा करते हैं, उतनी ही रकम आपके नियोक्ता को भी जमा करना होता है।
 
पहली बार निफ्टी 9 हजार, सेंसेक्स 30 हजार के पार 
 
जो लोग ईपीएफ स्कीम के अंदर नहीं हैं, उन्हें निवेश के दूसरे विकल्प अपनाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर आपको चार-पांच अच्छे म्यूचुअल फंड्स की एसआईपी शुरू करनी चाहिए। अगर आपकी सैलरी 10 हजार रुपए है, तो दस फीसदी के फॉर्मूले के हिसाब से आपकी मासिक बचत की रकम हुई- 1000 रुपए। आपको पांचों म्युचुअल फंड में हर महीने दो-दो सौ रुपए का निवेश करना चाहिए। इससे आपका निवेश समय के साथ अपने आप बढ़ता रहेगा। एसआईपी की इंस्टॉलमेंट हर महीने खुद जमा करने के बदले बैंक एकाउंट से ईसीएस के जरिए करें। इससे दो फायदे होंगे- पहला आपका निवेश अनुशासित रहेगा, दूसरा- आप इंस्टालमेंट का भुगतान करने में कभी नहीं चूकेंगे। हां, एक बात जरूर याद रखें कि म्युचुअल फंड में बाजार का रिस्क रहता है। यानी कुछ हद तक आपका निवेश बाजार के उतार-चढ़ाव से जुड़ा रहेगा। लेकिन पांच अलग-अलग तरह के म्युचुअल फंड में निवेश करने से इस रिस्क को एक हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
 
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