केंद्रीय विद्यालय ने दी तीसरी भाषा के छात्रों को ढ़ील, छात्र अब महसूस कर रहे हैं राहत
हजारों प्रभावित छात्र अब महसूस कर रहे हैं राहत ।;

नई दिल्ली:केंद्रीय विद्यालयों ने छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों को कुछ छूट देने का फैसला किया है। इसके तहत बीच सत्र में तीसरी भाषा के तौर पर र्जमन की बजाय संस्कृत को लाने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कदम के मद्देनजर उनके फॉर्मेटिव मूल्यांकन को स्थगित करने का फैसला किया गया है।
मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि छात्र इस सत्र के लिए कोई अन्य आधुनिक भाषा का विकल्प चुन सकते हैं, ताकि उनका बोझ घट सके। एक ज्ञापन में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि तीसरी भाषा उन छात्रों को छठी कक्षा के प्रथम टर्म के पाठ्यक्रम के साथ पढ़ाई जाएगी और यह उन छात्रों के लिए भी होगा जिन्होंने सातवीं और आठवीं कक्षा में तीसरी भाषा के तौर पर र्जमन ले रखा था। इसमें कहा गया है कि इन छात्रों की और सुविधा के लिए तीसरी भाषा के तौर पर र्जमन को सीखने के लिए पिछले टर्म में इन छात्रों द्वारा हासिल ग्रेडों को तीसरी भाषा में उनके कुल अंकों पर परिणाम को अंतिम रूप देने विचार किया जाएगा।
र्जमन की जगह तीसरी भाषा के तौर पर संस्कृत को पढ़ाने के मंत्रालय के फैसले से छठी से आठवीं कक्षा के बीच तकरीबन 68 हजार छात्र प्रभावित हुए थे। र्जमन को अतिरिक्त विषय या हॉबी क्लास में पढ़ाया जाना जारी रखा जाएगा। ज्ञापन में कहा गया है कि जल्द ही शुरू होने वाला तृतीय और चतुर्थ फॉर्मेटिव मूल्यांकन इन छात्रों के लिए अब नहीं किया जाएगा। उनके मूल्यांकन और परीक्षा कार्यक्रम के बारे में सूचना बाद में दी जाएगी। सतत एवं व्यापक मूल्यांकन ढांचे के तहत फॉर्मेटिव मूल्यांकन छात्रों की प्रगति की शिक्षकों द्वारा लगातार निगरानी का एक माध्यम है। मंत्रालय ने पिछले सप्ताह केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के तौर पर र्जमन की जगह संस्कृत को लाने का फैसला किया था। इसके लिए यह दलील दी गई थी कि मौजूदा व्यवस्था तीन भाषा फार्मूले के खिलाफ है और यह शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति का उल्लंघन करती है।
नीचे की स्लाइड्स में जानिए, क्या कहा मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने -
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