दहेज के मामलों को निपटाना बड़ी चुनौती, रविशंकर प्रसाद ने किया न्यायाधीशों से अनुरोध
देश में दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत दर्ज मामलों के न्यायालयों में लंबित मामलों का सवाल है;

वहीं केंद्र सरकार ने तेरवें वित्त आयोग से इन रिक्त पदों पर होने वाले पूरे व्यय हेतु मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक बराबर शेयर के आधार पर अधिकतम 80 करोड़ वार्षिक निधि का प्रबंध करने का भी भरोसा दिया है। देश में दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत दर्ज मामलों के न्यायालयों में लंबित मामलों का सवाल है, विधि मंत्रालय के अनुसार उनकी संख्या तीन लाख 72 हजार 706 हो चुकी है, जिसमें 31888 मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ख के अधीन लंबित हैं।
अदालतों में लंबित दहेज के मामलों प.बंगाल पहले पायदान पर है। जहां 1.10 लाख मामले लंबित हैं। महाराष्ट्र में 54600 मामले निपटारे का इंतजार कर रहे हैं। गुजरात में 42859, राजस्थान में 28317, आंध्र प्रदेश में 22634, केरल में 20844, उत्तर प्रदेश में 15705, मध्य प्रदेश में 12621, असम में 9680 व उडीसा में 9584 दहेज एक्ट के मामले लंबित हैं। छत्तीसगढ़ में 4632, हरियाणा में 6743, दिल्ली में 3838, पंजाब में 3971 व हिमाचल में 1296 मामलों में महिलाएं न्याय की बाट जोह रहे हैं।
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