लेबर कोड के ड्राफ्ट नियम जारी: वेतन की नई परिभाषा से PF, ग्रेच्युटी और टेक-होम सैलरी पर क्या असर पड़ेगा?

Labour codes new rules: नए लेबर कोड्स में वेतन की परिभाषा बदल गई है। 50 फीसदी अलाउंस नियम लागू है। पीएफ और ग्रेच्युटी की गणना अब ज्यादा वेतन आधार पर होगी।

Updated On 2025-12-31 21:07:00 IST

Labour codes draft rules: केंद्र सरकार ने नए लेबर कोड्स के तहत ड्राफ्ट नियम जारी कर दिए हैं।

Labour codes new rules: केंद्र सरकार ने नए लेबर कोड्स के तहत ड्राफ्ट नियम जारी कर दिए, जिससे कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बड़ा बदलाव तय माना जा रहा। इसका सीधा असर भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी पर पड़ेगा। सरकार ने मंगलवार को चारों लेबर कोड्स- कोड ऑन वेजेज (2019), इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड (2020), सोशल सिक्योरिटी कोड (2020) और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (2020) के ड्राफ्ट नियम पब्लिक कमेंट के लिए जारी किए। अगले 45 दिनों तक लोग इस पर सुझाव और आपत्तियां दे सकेंगे।

ये ड्राफ्ट नियम 29 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों को समाहित और सरल बनाते। इन नियमों से कोड्स के कई ऑपरेशनल पहलुओं पर स्पष्टता मिलेगी और पुराने नियम औपचारिक रूप से खत्म होंगे।

सबसे अहम बदलाव वेतन की नई परिभाषा को लेकर है, जो अब चारों लेबर कोड्स में एक समान लागू होगी। नई परिभाषा के मुताबिक, वेतन में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता  और रिटेनिंग अलाउंस शामिल होंगे। बड़ा बदलाव 50 फीसदी के नियम को लेकर है। अगर किसी कर्मचारी के कुल वेतन पैकेज में अलाउंस और भत्ते (ग्रेच्युटी और रिट्रेंचमेंट को छोड़कर) 50 फीसदी से ज्यादा होते हैं, तो जो अतिरिक्त हिस्सा है, उसे वेतन में जोड़ दिया जाएगा।

सीधे शब्दों में कहें तो अब कंपनियां बहुत कम बेसिक सैलरी और ज्यादा अलाउंस दिखाकर PF और ग्रेच्युटी का बोझ कम नहीं कर पाएंगी। हालांकि, परफॉर्मेंस इंसेंटिव, ESOPs, वेरिएबल पे, रीइम्बर्समेंट और लीव एनकैशमेंट को वेतन की गणना से बाहर रखा गया।

एक उदाहरण से इसे समझें, अगर किसी कर्मचारी का कुल मासिक पैकेज 76000 रुपये है और बेसिक+DA 20 हजार रुपये है जबकि अलाउंस 40 हजार रुपये हैं। कुल वेतन का 50 फीसदी बनता है 38 हजार रुपये। ऐसे में 2 हजार रुपये अतिरिक्त अलाउंस को वेतन में जोड़ दिया जाएगा। अब PF और ग्रेच्युटी 22 हजार रुपये के आधार पर कैलकुलेट होगी, न कि 20000 रुपये पर।

इस बदलाव से पीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान बढ़ेगा। इससे तुरंत टेक-होम सैलरी थोड़ी कम हो सकती है लेकिन लंबे समय में रिटायरमेंट फंड और ग्रेच्युटी ज्यादा मजबूत होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि शॉर्ट टर्म में कंपनियों की कंप्लायंस लागत बढ़ेगी, लेकिन लंबे समय में यह लागत का पुनर्वितरण है, न कि विस्फोटक बढ़ोतरी।

ग्रेच्युटी पर भी असर पड़ेगा क्योंकि यह आखिरी वेतन से जुड़ी होती है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक, नई ग्रेच्युटी व्यवस्था 21 नवंबर 2025 से लागू होगी और 15 दिन के वेतन प्रति वर्ष सेवा के हिसाब से मौजूदा 20 लाख रुपये की सीमा के भीतर ही रहेगी। चूंकि वेतन आधार बढ़ सकता है, इसलिए कई कर्मचारियों को ज्यादा ग्रेच्युटी मिल सकती है।

(प्रियंका कुमारी)

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