भारत को निवेश और मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के सपने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सातवें वाइब्रेंट गुजरात समिट में कहा कि हम नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर बढ़ने के बारे में सोच रहे हैं। जैसे हमें हाईवे की जरूरत है, उसी तरह आईवे (इंफॉर्मेशन) की भी जरूरत है और इसके लिए भारत अपने नागरिकों को थ्री डी आॅफर कर रहा है, डिमॉक्रेसी, डेमोग्राफी और डिमांड। बीते साल ही प्रधानमंत्री ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया अभियान को लांच किया था। वाइब्रेंट गुजरात समिट में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून, अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे समेत लगभग सौ देशों के हजारों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने भी हिस्सा लिया और उन्होंने गुजरात में भारी निवेश की घोषणा की। यह भारत के लिए बहुत अहम सम्मेलन है जिसमें अमेरिका, कनाडा और जापान समेत आठ देशों ने पहली बार भागीदार देश के तौर पर हिस्सा लिया।
भारत के मेक इन इंडिया के लांच के बाद चीन ने एक बार फिर मेड इन चाइना का नारा दिया है। ऐसे में भारत को चीन की मैन्युफैक्चरिंग को भी समझना होगा कि क्यों चीन इस क्षेत्र में दुनिया में सबसे आगे है। चीन इंटरनेट और ई-कॉमर्स के जरिए अपनी इकोनॉमी को जोरदार रफ्तार देने का प्लान बना रहा है। पिछले 30 सालों में जोरदार औद्योगिकरण के दम पर चीन दुनिया की फैक्ट्री बन गया है। चीन की खासियत में बड़ी संख्या में लेबर, सस्ती लागत और तुलनात्मक रूप से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल है।
चीन ने न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस किया, बल्कि टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन पर भी खासा ध्यान दिया। इसमें नई तरह और बेहतरीन प्रोडक्टिविटी वाली मशीनों, लो कार्बन टेक्नोलॉजी, एनर्जी जैसे सेगमेंट शामिल हैं। इंटरनेट के जरिए चीन की एसएमई एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी मजबूत हो रहे हैं। अलीबाबा या ग्लोबल सोर्सेज जैसे बी2बी मार्केटप्लेसेज के जरिए वे विदेशी कस्टमर्स को प्रोडक्ट बेच रहे हैं। वहां के एसएमई अब माइक्रो-मल्टीनेशनल बन रहे हैं। भारत की एसएमई के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से अलग-अलग स्कीमें तो चलाई जाती हैं, लेकिन जानकारी की कमी के चलते वे उनका फायदा नहीं उठा पाते या भ्रष्टाचार के चलते ये फायदे उन तक पहुंच नहीं पाते। एसएमई को कर्ज मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, अब बैंकों ने एसएमई लोन पर फोकस करना शुरू कर दिया है, लेकिन यहां एसएमई के लिए बैंक के अलावा कोई वैकल्पिक व्यवस्था का कोई ठोस प्लान नहीं है। हाल में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने भी बैंकों से एसएमई को आसान कर्ज मुहैया करवाने की बात कही है। फ्लिपकार्ट, शॉपक्ल्यूज, स्नैपडील जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियों ने एसएमई के लिए मार्केट प्लेस बनाए हैं, लेकिन उनकी छोटे कारोबारियों तक पहुंच धीमी रफ्तार से बढ़ रही है। इसके अलावा सरकार की तरफ से एसएमई को ई-रिटेलर्स के साथ जोड़ने का कोई सटीक प्लान नहीं है। इसके अलावा एसएमई को टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के जरिए ग्रोथ को रफ्तार देना चाहिए। उन्हें पर्याप्त पूंजी और प्रोडक्ट बेचने का डिजिटल जरिया मिलना चाहिए।
वाइब्रेंट गुजरात समिट का असली मकसद विदेशी कंपनियों को राज्य में फैक्ट्री लगाने और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है। मेक इन इंडिया अभियान के तहत निवेशकों की हर उलझन को दूर करने के लिए मेकइनइंडियाडॉटकॉम नाम से एक वेब पोर्टल शुरू किया गया है। इस पोर्टल पर निवेशकों को अपने सभी सवालों का जवाब सिर्फ 72 घंटों में मिलेगा। इस अभियान के जरिए सरकार रेगुलेटरी प्रोसेस को आसान कर निवेश को प्रोत्साहित करेगी। नीति और नियमों के नाम पर जो अड़चनें आती हैं, सरकार ने उन्हें दूर करने के लिए इंवेस्ट इंडिया नाम का एक सेल भी बनाया है, जो उद्योग लगाने से लेकर रेगुलेटरी मंजूरी तक सभी मामलों में विदेशी निवेशकों की मदद करेगा। अभी तक नई कंपनी या नए व्यापार के लिए सरकारी लालफीताशाही आड़े आती थी। मंजूरी के लिए फाइल एक दफ्तर से दूसरे में घुमती रहती थी। काफी वक्त लगता था किसी भी काम को शुरू करने में, लेकिन अब इन सब मुश्किलों को दूर करने की दिशा में एक बेहतर कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री के मुताबिक इंडस्ट्री का सरकार से भरोसा उठ गया था, लेकिन अब माहौल बदल रहा है।
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