नई दिल्ली. बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों से अब एक के बाद एक तार जुड़ते जा रहे हैं। कई सालों से पुलिसिया और सरकारी लॉकरों की निगरानी में 12744 पन्नों की इन 64 फाइलों को राज्य सरकार ने बोस के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में 18 सितंबर को सार्वजनिक किया। इन दस्तावेजों पर नजर डालें तो पता लगता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1947 की स्वतंत्रता संग्राम के ठीक बाद 1948 में चीन के मनचूरिया शहर में जीवित थे। उस वक्त उनके सबसे करीबियों में से एक सहयोगी देवनाथ दास ने यह दावा किया था।
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जारी किए गए इन दस्तावेजों में फाइल नंबर 22 में देवनाथ दास समेत आइएनए के कई नेताओं के बारे में बंगाल सरकार के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस के कार्यालय की ओर से इस संदर्भ में खुफिया सूचनाएं जुटाई गई हैं।
मौजूदा खुफिया दस्तावेजों के मुताबिक 9 अगस्त, 1948 के एक दस्तावेज में यह जानकारी है कि
देवनाथ दास नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवित होने का दावा कर रहा है। उस समय नेताजी मनचूरिया में थे जो कि वर्तमान समय में चीन में स्थित है। देवनाथ के अनुसार प्लेन क्रैश से पहले नेताजी ने उनसे तीसरे विश्व युद्ध की संभावना भी जताई थी।
याद हो 22 अगस्त, 1945 को टोकिय रेडियो ने सुभाष चंद्र बोस के एक प्लेन क्रैश में मारे जाने घोषणा की थी। इस घोषणा में बताया गया था कि 18 अगस्त 1945 को जापान जाते हुए सुभाष चंद्र बोस एक प्लेन क्रैश में मारे गए हैं। भारत में इस खबर को पूरी तरह खारिज कर दिया गया था। तब से अब तक कई बर नेताजी के जीवित होने की खबरे सामने आती रही हैं। हालांकि इन दस्तावेजों में इसके पुख्ता सबूत नहीं मिलते कि नेताजी की मौत 1945 के एक प्लेन क्रैश में हुई थी।
इन दस्तावेजों में हैरान कर देने वाले कुछ तथ्य भी सामने आते हैं जहां देवनाथ दास 1948 में नेताजी द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर नजर बनाए रखने की बात करते हैं। इसके पीछे उनका मकसद यह जानने का था कि भारत के कौन से राष्ट्र दोस्त हैं और कौन से दुश्मन।
इन फाइलों का सबसे अहम तथ्य नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस का वह पत्र है जो उन्होंने 1949 में अपने पिता और नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस को लंदन से लिखा था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि उनके पास नेताजी के एक रेडियो चैनल में आने की सूचना है।
प. बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइल्स को सार्वजनिक करने से इस बात के संकेत मिले हैं कि नेताजी की मौत 1945 में नहीं हुई थी। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भ्रम की स्थिति भी पैदा हो रही है। जस्टिस मुखर्जी आयोग के सामने पेश हुए जयंत सिंह की मानें तो फाइल सार्वजनिक होने से नेताजी और ऐमिली शेंकल की शादी के लेकर भी एक विवाद खड़ा हो गया है।
नेताजी के प्रपौत्र और टीएमसी के सांसद प्रोफेसर सुगत बोस ने अपनी किताब में लिखा है कि नेताजी ने ऐमिली से 1937 में शादी की थी जबकि सार्वजनिक हुए दस्तावेजों से यह पत लगता है कि नेताजी और ऐमिली की शादी 1942 में हुई थी। वहीं, चीनी वीजा के लिए नेताजी द्वारा दी गई जानकारियों में उन्होंने खुद को अविवाहित बताया है।
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