Pooja Ke Nariyal Ka Mahatv: नारियल पर तीन आंख और एक मुंह की रचना, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ईश्वर नारियल का भोग ग्रहण करते है और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते है। कई पूजा अनुष्ठानों में नारियल सीधे चढ़ाने के बजाय नारियल फोड़ने का चलन

By :  Desk
Updated On 2024-04-04 23:18:00 IST
हिंदू धर्म में कई अनुष्ठान होते है, जिसमें नारियल के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है।

Pooja Ke Nariyal Ka Mahatv: सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के दौरान तमाम चीजें अर्पित की जाती है, उन्हीं में से एक है नारियल। हिंदू धर्म में कई अनुष्ठान होते है, जिसमें नारियल के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ईश्वर नारियल का भोग ग्रहण करते है और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते है। कई पूजा अनुष्ठानों में नारियल सीधे चढ़ाने के बजाय नारियल फोड़ने का चलन है। इसके पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित है। 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित हुए थे तो साथ में मां लक्ष्मी के साथ नारियल का वृक्ष और कामधेनु को साथ लेकर आए थे। यही वजह है कि भगवान विष्णु को नारियल चढ़ाना विशेष माना जाता है। कुछ विद्वान बताते है कि, नारियल ही वो कल्पवृक्ष है जिसका जिक्र अक्सर शास्त्रों में मिलता है, इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। कई लोग नारियल पर बनी तीन आँखों रुपी निशानों को शिव जी के तीन नेत्र मानते है। 

नारियल फोड़ करते है शुभ काम 

पुराने समय में नरबलि की परंपरा निभाई जाती थी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, साधक अपनी साधना पूरी करने के लिए और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए नर बलि दिया करते थे। लेकिन जब इस परंपरा का विरोध हुआ तो इसकी जगह पर नर की जगह 'नारियल की बलि' दी जाने लगी। माना जाता है कि, नारियल ही नर का प्रतीक है। नारियल के ऊपर के बुच को बाल, इसके सख्त हिस्से को खोपड़ी और पानी को रक्त की संज्ञा दी जाती है। 

विश्वामित्र ने तैयार किया था नारियल

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैदिक काल के विख्यात ऋषि विश्वामित्र ने ही नारियल को मानव रूप में तैयार किया था। बताया जाता है कि, एक बार विश्वामित्र जी इंद्र देव से क्रोधित हो गए थे। इस वजह से वह दूसरे स्वर्ग लोक का निर्माण करने लग गए। बाद में उनका थोड़ा मन बदला और वे एक दूसरी सृष्टि का निर्माण करने लग गए। इसी दौरान उन्होंने मानव रूप में नारियल का निर्माण किया। तभी से नारियल के खोल पर दो नेत्र और एक मुख रचना होती है। 

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