Jyotish Tips : एकादशी को चावल क्यों नहीं खाया जाता?

एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान माना गया है। इस दिन व्रत करने वाले साधकों पर विष्णु भगवान की विशेष कृपा मानी जाती है। एकादशी व्रत करने वाले साधक कड़े निय

By :  Desk
Updated On 2024-08-01 21:59:00 IST
एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान माना गया है।

Ekadashi Ko Chawal Kyo Nahi Khaya Jata: ज्योतिष शास्त्र का हमारे जीवन में अहम योगदान है। सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोग ज्योतिष शास्त्र को भी काफी महत्त्व देते है। यही कारण है कि वे हिंदू धर्म के हर छोटे-बड़े पर्व की महत्वत्ता और पवित्रता का मान रखते है। इन्हीं में एक है एकादशी का पर्व, जो हर माह में दो बार आती है। एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान माना गया है। इस दिन व्रत करने वाले साधकों पर विष्णु भगवान की विशेष कृपा मानी जाती है। एकादशी व्रत करने वाले साधक कड़े नियम पालन करते है, उन्हीं में से एक है चावल का सेवन न करना। 

कौन थी एकादशी? 
(Kaun Thi Ekadashi) 

विश्व विख्यात कथावाचक अनिरूद्धाचार्य महाराज जी के मुताबिक एकादशी देवी का जन्म उत्पन्ना एकादशी (Utpana Ekadashi) पर हुआ था। वह भगवान विष्णु का ही एक अंश थी, जिन्होंने राक्षसों के संहार करने में भगवान की मदद की थी। इस पर विष्णु जी ने प्रसन्न होकर एकादशी देवी को वरदान दिया और कहा 'जो भी मनुष्य तुम्हारा व्रत रखेगा उसके जीवन से सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। साथ ही उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होगी।' 

एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाते? 
(Ekadashi Ko Chawal Kyo Nahi Khate) 

पंडित अनिरूद्धाचार्य महाराज जी ने अपनी एक कथा में बताया कि, जब विष्णु जी ने एकादशी से सभी पापों को नष्ट करने के लिए कहा तो कुछ पाप चावल में जाकर छिप गए। इससे एकादशी देवी को क्रोध आ गया और उन्होंने चावल को श्राप दिया कि 'तुमने पापों को जगह देकर गलत किया है इसलिए तुम्हे एकादशी व्रत के दिन कोई सेवन नहीं करेगा।' कहा जाता है कि एकदशी के दिन चावल में पाप भरे रहते है, इसलिए इनका इस दिन सेवन वर्जित है। 

अगले दिन पारण में खाते हैं चावल
(Ekadashi Vrat Paran me Khaa Sakte Hai Chawal) 

एकादशी व्रत के दिन चावल खाना वर्जित है। लेकिन व्रत के अगले दिन पारण के समय चावल का सेवन किया जाता है। इसी के साथ व्रत पूर्ण होता है। ज्योतिष के अनुसार एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि की शाम से करना चाहिए और अगले दिन द्वादशी को सुबह के समय व्रत पारण करना चाहिए। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Similar News